नरेंद्र मोदी की छवि को ख़राब करने वालीं तीस्ता सीतलवाड़ अकेली नहीं हैं. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और भारतीय चुनाव आयोग जैसे स्वतंत्र संस्थानों ने भी अतीत में गुजरात हिंसा और मुख्यमंत्री के रूप में मोदी द्वारा चलाई गई सरकार की भूमिका पर कड़ी टिप्पणियां की थीं.
वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान वडोदरा शहर में स्थित बेस्ट बेकरी पर भीड़ के हमले में 14 लोग मारे गए थे. इनमें से ज़्यादातर मुस्लिम थे, जिन्होंने अंदर शरण ली हुई थी. मुंबई की निचली अदालत ने हर्षद सोलंकी और मफत गोहिल को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन यह साबित करने में असफल रहा कि दोनों दंगाई भीड़ का हिस्सा थे.