भोपाल से भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर मालेगांव विस्फोट मामले में स्वास्थ्य के आधार पर ज़मानत पर बाहर हैं और यह दावा करते हुए कई अदालती सुनवाई में पेश नहीं हुई हैं कि वह गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं. ठाकुर वर्तमान में मुंबई की एक अदालत में यूएपीए की कड़ी धाराओं के तहत मुक़दमे का सामना कर रही हैं.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भोपाल में अपनी किताब ‘नर्मदा की पथिक’ के विमोचन के मौके पर कहा कि 2017 के चुनाव के दौरान जब वे महाराष्ट्र से गुजरात की यात्रा कर रहे थे तो रात के समय गुजरात के जंगल में फंस गए थे. इस दौरान एक अधिकारी को भेजकर अमित शाह ने उनकी मदद की थी. उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक समन्वय, सामंजस्य और मित्रता का एक उदाहरण है, जिसका राजनीति और विचारधारा से कोई लेना-देना
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उस मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ये निर्देश दिया, जिसमें कहा गया है कि गैस त्रासदी के कैसर पीड़ितों को प्राइवेट अस्पताल में भेजा जा रहा है और वहां उन्हें मुफ़्त इलाज नहीं मिल रहा है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि किसी मरीज़ को इलाज से इनकार नहीं किया जा सकता है और राज्य सरकार सभी को मुफ़्त इलाज मुहैया कराए.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में दिसंबर 1984 में हुई गैस त्रासदी ने तमाम महिलाओं से उनके पति को छीनकर उन्हें बेसहारा बना दिया था. उनकी आर्थिक मदद के लिए पेंशन योजना शुरू की गई थी, जिस पर दिसंबर 2019 से राज्य सरकार ने रोक लगा दी है. इसे दोबारा शुरू करने की घोषणा तो लगातार की जा रही हैं, लेकिन कोरोना काल में बुरी तरह से प्रभावित ये विधवा महिलाएं अब तक इससे महरूम हैं.
72 वर्षीय राजकुमार केसवानी बीते दिनों कोविड-19 से पीड़ित होने के बाद हुए फेफड़ों के संक्रमण के चलते भोपाल के एक अस्पताल में भर्ती थे, जहां शुक्रवार को उनका देहांत हो गया. वे भोपाल गैस त्रासदी से पहले यूनियन कार्बाइड की सुरक्षा चूक पर ध्यान दिलाने की रिपोर्टिंग और उनके साप्ताहिक सिनेमा कॉलम के लिए जाने जाते थे.
मध्य प्रदेश से कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखकर पूछा है कि क्या रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन तथा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने वैज्ञानिक तौर पर यह मान लिया है कि गोमूत्र पीने से कोरोना वायरस का इलाज हो सकता है, जैसा भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने दावा किया है कि गोमूत्र पीने से कोविड नहीं होगा, क्योंकि इससे फेफड़ों का इंफेक्शन दूर होता है.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित दो श्मशान घाटों और एक क़ब्रिस्तान के रिकॉर्ड के अनुसार, एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक कुल 3,811 लोगों का अंतिम संस्कार किया गया, जिनमें से 2,557 शवों को अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के मुताबिक किया गया. इस पर मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि प्रदेश में कोविड से हुईं मौतों को छिपाया नहीं जा रहा है.
कई राज्यों में कोरोना मृतकों की आधिकारिक संख्या और कोरोना प्रोटोकॉल के तहत निश्चित श्मशानों में हो रहे दाह संस्कार के आंकड़ों के बीच बहुत बड़ा अंतर है. मसलन, 12 अप्रैल को भोपाल के भदभदा में 37 शवों का दाह संस्कार होना था, लेकिन उस रोज़ के स्वास्थ्य बुलेटिन में पूरे राज्य में केवल 37 मौतें होने की बात कही गई थी.
मध्य प्रदेश में बुधवार को कोविड-19 संक्रमण के 9,720 मामले सामने आए और 51 लोगों की मौत हो गई. जो एक दिन का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. इसके साथ ही प्रदेश में इस वायरस से अब तक संक्रमित पाए गए लोगों की कुल संख्या 363,352 तक पहुंच गई.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के सरकारी जेपी अस्पताल में मरीज़ की मौत के बाद कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा और उनके सहयोगियों पर वहां के एक डॉक्टर के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगा था. घटना के बाद डॉक्टर इस्तीफ़ा दे दिया था, हालांकि बाद में उन्होंने इसे वापस ले लिया.
सुप्रीम कोर्ट ने दमोह पुलिस अधीक्षक द्वारा एक न्यायिक अधिकारी के कथित उत्पीड़न और उन्हें धमकी देने के मामले का संज्ञान लिया है. दो साल पहले हुए कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या के मामले में आरोपी बसपा विधायक रमाबाई के पति गोविंद सिंह ठाकुर को अब तक कोर्ट में पेश नहीं किया जा सका है.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का मामला. रैगिंग से तंग आकर निजी कॉलेज की एक छात्रा ने सुसाइड नोट लिखकर घर के कमरे में साड़ी से फंदा लगाकर छह अगस्त 2013 को आत्महत्या कर ली थी.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बीते दिनों मनाए गए एकजुटता दिवस कार्यक्रम में जनजाति समुदायों ने बताया कि किस तरह से केवल उनकी जातीय पहचान के कारण बिना किसी वॉरंट के उन्हें हिरासत में ले लिया जाता है, प्रताड़ित किया जाता है, पैसे वसूले जाते हैं और महीनों-सालों तक बंदी बनाकर रखा जाता है.
मध्य प्रदेश में भोपाल गैस पीड़ितों के लिए काम कर रहे चार संगठनों ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर कहा कि भारत बॉयोटेक के ‘कोवैक्सीन’ टीके के क्लीनिकल परीक्षण में भाग ले रहे लोगों की सुरक्षा और उनके हकों को नजरअंदाज करने के लिए ज़िम्मेदार अधिकारियों और संस्थाओं के ख़िलाफ़ दंडात्मक कार्रवाई और मुआवज़े की मांग भी की है.
भोपाल में 45 वर्षीय दीपक मरावी को यहां के पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में बीते 12 दिसंबर को भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा बनाई गई स्वदेशी कोवैक्सीन की पहली खुराक दी गई थी. बीते 21 दिसंबर को तबीयत बिगड़ने के बाद उनकी मौत हो गई. मृतक के परिवार का आरोप है कि वैक्सीन से उनकी जान गई है.