वी-डेम संस्थान द्वारा जारी ‘अकादमिक स्वतंत्रता सूचकांक’ में कहा गया है कि भारत दुनिया के 179 देशों में से उन 22 देशों में शुमार है, जहां शिक्षण संस्थानों और शिक्षाविदों को काफी कम स्वतंत्रता प्राप्त है. भारत इस मामले में नेपाल, पाकिस्तान और भूटान जैसे अपने पड़ोसी देशों से भी पिछड़ा हुआ है.
एक मीडिया रिपोर्ट में सैटेलाइट तस्वीरों के माध्यम से खुलासा किया गया है कि वर्ष 2017 में डोकलाम पठार पर जिस जगह भारतीय और चीनी सेना का आमना-सामना हुआ था, वहां से नौ किलोमीटर पूर्व में चीन ने एक गांव बसा दिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के निर्माण से चीन उन जगहों पर अपनी सेना तैनात कर रहा है, जहां से भारतीय सीमा के विशेष तौर पर संवेदनशील इलाकों को ख़तरे में डाल सके.
नेपाल में कोरोनिल किट के वितरण पर रोक के बाद आयुर्वेद और वैकल्पिक चिकित्सा विभाग ने कहा कि कोरोनिल की खरीद के दौरान उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया था. साथ ही यह कोरोना वायरस को ख़त्म करने वाली दवाओं के बराबर नहीं है. इससे पहले भूटान ने इस दवा के वितरण पर पाबंदी लगाई थी.
लैंगिक समानता सूचकांक की हालिया सूची में भारत घाना, रवांडा और भूटान जैसे देशों से भी पीछे है. सूचकांक में पहले स्थान पर डेनमार्क और 129वें पायदान पर चाड है. चीन 74वें स्थान, पाकिस्तान 113वें, नेपाल 102 और बांग्लादेश 110वें पायदान पर है.
साक्षात्कार: पूर्वोत्तर राज्यों पर लिखी संजय हज़ारिका की नई किताब ‘स्ट्रेंजर्स नो मोर’ पिछली किताब ‘स्ट्रेंजर्स ऑफ द मिस्ट’ के करीब 25 साल बाद आई है. इस बीच इस क्षेत्र ने कई बदलाव देखे, लेकिन हज़ारिका का मानना है कि यहां के मूल मुद्दे अब भी वही हैं, जो तब थे.
मेडिकल जर्नल ‘लैंसेट’ के एक अध्ययन के मुताबिक, स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और लोगों तक उनकी पहुंच के मामले में भारत विश्व के 195 देशों में 145वें पायदान पर है.
अगर नरेंद्र मोदी भूटान पर पड़ रहे दवाब को कम करके चीन द्वारा पेश किए जा रहे क़ानूनी तर्कों पर ध्यान लगाएं, तो वे ख़ुद को भारत-चीन सीमा विवाद को जल्दी सुलझाने की स्थिति में पाएंगे.
द वायर ने भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव पर पूर्व विदेश सचिव और चीन में भारतीय राजदूत रहीं निरूपमा राव से बातचीत की.
चीन और भारत की सभी सरकारें ये स्वीकार करती आई हैं कि सिक्किम क्षेत्र में दोनों देशों के मध्य सीमा-निर्धारण हो चुका है.
लैंसेट जर्नल के हालिया अध्ययन के मुताबिक स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में 195 देशों की सूची में भारत 154 वें स्थान पर है.
इसमें संदेह नहीं कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की क्षमताएं उच्च स्तर की हैं, इसके बावजूद कई संचार उपग्रह जैसे एडुसैट कई साल बाद भी अपने लक्ष्यों को पूरा नहीं कर सका है.