भारत में एक नया रैडिकलाइजेशन शक्ल ले चुका है. इसे रोज़मर्रा का आतंकवाद कह सकते हैं. इसकी ख़ासियत यह है कि इसे 'इस्लामी आतंकवाद' से ठीक उलट हिंदुओं में व्यापक समर्थन प्राप्त है.
देश के 104 पूर्व नौकरशाहों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर धर्मांतरण विरोधी क़ानून को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की मांग करते हुए कहा है कि इसका इस्तेमाल मुस्लिम पुरुषों और अपनी मर्ज़ी से शादी कर रही महिलाओं को प्रताड़ित करने के लिए किया जा रहा है.
भाजपा की मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने की रणनीति के परिणाम भयावह होंगे.
केंद्रीय मंत्री जैसे और भी कई हैं जो एक संपन्न और शिक्षित पृष्ठभूमि से आते हैं, जो दिखते उदारवादी हैं लेकिन जिनके मन में सांप्रदायिक सड़ांध भरी होती है.