एक कार्यक्रम के दौरान बिहार के शिक्षा मंत्री और राजद नेता चंद्रशेखर ने कहा कि वह रामचरितमानस में शामिल ‘जातिवादी संदर्भों’ का विरोध करना जारी रखेंगे. बीते साल भी उन्होंने कहा था कि मनुस्मृति, रामचरितमानस और एमएस गोलवलकर द्वारा लिखित ‘अ बंच ऑफ थॉट्स’ ‘विभाजनकारी ग्रंथ’ हैं.
बिहार के शिक्षा मंत्री द्वारा रामचरितमानस की आलोचना को लेकर अगर कुछ नया है तो वह है इस पर हुआ हंगामा. श्रमण संस्कृति के पैरोकार विद्वान व सामाजिक कार्यकर्ता, तुलसीदास व रामचरितमानस की आलोचना में न सिर्फ इससे कहीं ज़्यादा कडे़ शब्द इस्तेमाल कर चुके हैं. एक दौर में तुलसीदास को ‘हिंदू समाज का पथभ्रष्टक’ तक क़रार दिया जा चुका है.
‘रामचरितमानस’ की जो आलोचना बिहार के शिक्षा मंत्री ने की है वह कोई नई नहीं और न ही उसमें किसी प्रकार की कोई ग़लती है. उन पर हमलावर होकर तथाकथित हिंदू समाज अपनी ही परंपरा और उदारता को अपमानित कर रहा है.
बृहस्पतिवार को अपने बयान को दोहराते हुए बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने दावा किया है कि ‘रामायण’ पर आधारित रामचरितमानस समाज में नफ़रत फैलाती है. भाजपा द्वारा माफ़ी की मांग पर उन्होंने कहा कि यह भगवा पार्टी है, जिसे तथ्यों की जानकारी नहीं होने के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए.