बिहार: शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल ​नीति हटाने पर सरकार का विरोध कर रहे शिक्षकों पर लाठीचार्ज

शिक्षक 1.7 लाख शिक्षकों की भर्ती में अधिवास नीति को हटाने के नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार के हालिया फैसले का विरोध कर रहे हैं, जो प्रभावी रूप से अन्य राज्यों के लोगों को शिक्षकों की नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देगा.

बिहार: तीन हफ्ते में दूसरा निर्माणाधीन पुल ढहा, चार अधिकारी निलंबित

बिहार में किशनगंज ज़िले की मेची नदी पर बन रहे पुल का एक हिस्सा बीते 24 जून को ढह गया था. इस पुल को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा बनाया जा रहा था. इससे पहले बीते 4 जून को गंगा नदी पर निर्माणाधीन पुल का 200 मीटर का हिस्सा ढह गया था. ठीक एक साल पहले इसी तरह की एक और घटना इसी पुल पर घटी थी.

बिहार में गंगा पर बना पुल गिरा या भ्रष्टाचार का मलबा!

वीडियो: बिहार के खगड़िया के अगुवानी घाट से लेकर भागलपुर के सुल्तानगंज के बीच गंगा नदी पर क़रीब  3.17 किलोमीटर लंबा पुल बन रहा है. 2015 में पुल की आधारशिला रखी गई. इसे 2019 तक बनकर तैयार होना था. लेकिन हाल यह है कि 8 साल में 8 बार इस समयसीमा को बढ़ाया गया है. वहीं, पिछले 14 महीने में दो बार पुल का कुछ हिस्सा ढहकर गंगा में समा चुका है.

बिहार में ढहे पुल का निर्माण करने वाली कंपनी गुजरात में बड़ी परियोजनाओं से जुड़ी है: रिपोर्ट

बिहार के भागलपुर ज़िले में गंगा नदी पर बने पुल का एक हिस्सा ढह गया था. हालांकि अधिकारियों ने कहा ​था कि निर्माण में ख़ामियों को देखते हुए इसे योजनाबद्ध तरीके से गिराया गया है. इसके निर्माण का ठेका एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शंस प्राइवेट लिमिटेड को मिला था, जो गुजरात में पुल समेत कई निर्माण परियोजनाओं से भी जुड़ी है.

बिहार: गंगा नदी पर निर्माणाधीन पुल ढहा, सरकार ने कहा- सुनियोजित तरीके से ढहाया गया

बिहार के भागलपुर जिले में रविवार शाम को गंगा नदी पर निर्माणाधीन पुल का 200 मीटर का हिस्सा ढह गया. पिछले साल 30 अप्रैल को भी इसी पुल का एक हिस्सा गिर गया था. अधिकारियों ने दावा किया कि पुल निर्माण में कई खामियां हैं, इसलिए इसे ढहाया गया.

बिहार: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा जातिगत जनगणना पर लगाई गई रोक को हटाने से इनकार किया

बिहार सरकार के जाति आधारित सर्वेक्षण पर बीते चार मई को पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने 3 जुलाई को सुनवाई के लिए मुख्य याचिका को सूचीबद्ध किया है, अगर हाईकोर्ट ने उस दिन सुनवाई नहीं की तो यह अदालत 14 जुलाई को सुनवाई करेगी.

सुप्रीम कोर्ट के जज संजय करोल ने बिहार जाति जनगणना मामले की सुनवाई से ख़ुद को अलग किया

बीते 4 मई को पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को जाति आधारित सर्वेक्षण को तुरंत रोकने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि अंतिम आदेश पारित होने तक पहले से ही एकत्र किए गए आंकड़ों को किसी के साथ साझा न किया जाए. इस आदेश को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

बिहार: शराबबंदी के 7 साल में ज़हरीली शराब से आधिकारिक तौर पर 199 लोगों की मौत, कोई भी दोषसिद्धि नहीं

बिहार पुलिस की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2016 से ज़हरीली शराब के संबंध में 30 मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन किसी भी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सका है. हाल ही में मोतीहारी ज़िले में जहरीली शराब पीने से 26 लोगों की मौत हुई है. ये आंकड़ा अभी पुलिस रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है.

बिहार की जाति-जनगणना एक साहसिक क़दम है, जिसके प्रभाव राज्य से बाहर तक दिखाई देंगे

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का राज्य में जाति जनगणना करवाने का निर्णय 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र राष्ट्रीय राजनीति को बड़े स्तर पर प्रभावित करने का माद्दा रखता है.

बिहार में जाति आधारित जनगणना शुरू; नीतीश ने कहा- केंद्र इसके लिए तैयार नहीं, राज्य करवा रहा है

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट किया है कि प्रत्येक परिवार की आर्थिक स्थिति के साथ-साथ केवल जातियों को सूचीबद्ध किया जाएगा, उप-जातियों को नहीं. बिहार की राजनीति में जाति-आधारित जनगणना एक प्रमुख मुद्दा रहा है. नीतीश की पार्टी जदयू और महागठबंधन के सभी घटक लंबे समय से मांग कर रहे थे कि यह जल्द से जल्द किया जाए.

राजदेव रंजन हत्या: ‘मुझे एक ईमानदार पत्रकार की पत्नी होने की सज़ा मिली’

साल 2016 में बिहार के सीवान ज़िले में पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या कर दी गई थी. सीवान से चार बार सांसद रहे दिवंगत मोहम्मद शहाबुद्दीन हत्या के आरोपियों में से एक थे. बीते छह सालों से मामले की सीबीआई जांच चल रही है और रंजन का परिवार इंसाफ़ के इंतज़ार में है.

शराबबंदी के ग़लत क्रियान्वयन से बिहार के लोगों की जान जोखिम में: हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने एक ज़मानत याचिका का निस्तारण करते हुए शराबबंदी लागू होने के बाद ज़हरीली शराब की त्रासदी को इस क़दम का सबसे चिंताजनक परिणाम बताया. साथ ही राज्य सरकार को नकली शराब के सेवन से बीमार होने वालों के इलाज के लिए मानक प्रोटोकॉल विकसित करने में विफल रहने पर फटकार लगाई.

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