नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2019-20 की अवधि के दौरान प्रत्येक वर्ष केवल 16 से 50 प्रतिशत धन का उपयोग किया गया. जिसके चलते 684 करोड़ रुपये इस्तेमाल नहीं हो सके. फिर भी राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने पिछली किश्तों के उपयोग को सुनिश्चित किए बिना अगली किश्तों के लिए धन जारी कर दिया.