सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने बिलक़ीस बानो की वकील को आश्वासन दिया है कि उनकी याचिका सुन रही पीठ से जस्टिस बेला त्रिवेदी के अलग होने के चलते नई पीठ गठित कर जल्द ही मामले को सूचीबद्ध किया जाएगा.
बिलक़ीस बानो के बलात्कार के दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका से अलग होने से पहले जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने बिलक़ीस द्वारा गुजरात सरकार के निर्णय के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं की सुनवाई से भी ख़ुद को अलग किया था. त्रिवेदी 2004 से 2006 तक गुजरात सरकार की क़ानून सचिव रही हैं.
अपनी याचिका में बिलक़ीस बानो ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले की समीक्षा की मांग की थी, जिसमें गुजरात सरकार को दोषियों की सज़ा पर निर्णय लेने की अनुमति दी गई थी. उनका तर्क था कि सुप्रीम कोर्ट का यह विचार कि दोषियों को रिहा करने का फैसला करने के लिए गुजरात में ‘उपयुक्त सरकार’ है, दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के विपरीत है.
साल 2002 के गुजरात दंगों के केंद्र में रही गोधरा सीट पर भाजपा के निवर्तमान विधायक सीके राउलजी ने 35,000 से अधिक मतों से जीत हासिल की है. राउलजी वहीं भाजपा नेता हैं, जो बिलक़ीस बानो के बलात्कारियों को रिहा करने के फैसले में शामिल थे और उन्हें ‘संस्कारी ब्राह्मण’ बताया था.
बिलक़ीस बानो ने 2002 के सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में 11 दोषियों को सज़ा में छूट तथा उन्हें रिहा किए जाने के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले की समीक्षा की भी मांग की है, जिसमें गुजरात सरकार को दोषियों की सज़ा पर निर्णय लेने की अनुमति दी गई थी.
अपनी याचिका में बिलक़ीस बानो ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले की समीक्षा की भी मांग की है, जिसमें गुजरात सरकार को दोषियों की सज़ा पर निर्णय लेने की अनुमति दी गई थी.
गुजरात के पूर्व मंत्री चंद्रसिंह राउलजी उस समिति में शामिल थे, जिसने बिलक़ीस बानो बलात्कार और उनके परिवार के सात लोगों की हत्या के 11 दोषियों की रिहाई के पक्ष में सर्वसम्मति से फैसला दिया था. गोधरा से छह बार के विधायक रहे राउलजी ने एक इंटरव्यू में दोषियों को ‘संस्कारी ब्राह्मण’ बताया था.
नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन ने सुप्रीम कोर्ट में नए सिरे से एक याचिका दायर किया है, जिसमें बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले के 11 दोषियों की सज़ा माफ़ करने के गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, 2002 के गुजरात दंगों में बिलक़ीस बानो के साथ बलात्कार और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों में से कुछ के ख़िलाफ़ पैरोल पर बाहर रहने के दौरान ‘महिला का शील भंग करने के आरोप’ में एक एफ़आईआर दर्ज हुई और दो शिकायतें भी पुलिस को मिलीं थीं. इन पर गवाहों को धमकाने के भी आरोप लगे थे.
बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों की सज़ा माफ़ी और रिहाई के निर्णय का बचाव करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि 'जो भी हुआ है, क़ानून के अनुसार हुआ है.' वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार द्वारा दायर जवाब को 'बोझिल' बताते हुए कहा कि इसमें तथ्यात्मक बयान गुम हैं.
गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों की सज़ा माफ़ी के लिए केंद्र सरकार ने मंज़ूरी दी थी. इसे लेकर कांग्रेस ने कहा कि क्या मोदी सरकार ने सभी बलात्कारियों से ऐसे ही बर्ताव करने का निर्णय लिया है? क्या रेप मामलों में यह नया मानक तय किया गया है?
सुप्रीम कोर्ट में बिलक़ीस बानो मामले के 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई के ख़िलाफ़ याचिका के जवाब में गुजरात सरकार ने कहा है कि इस क़दम को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंज़ूरी दी थी. सरकार के हलफ़नामे के अनुसार, सीबीआई, स्पेशल क्राइम ब्रांच, मुंबई और सीबीआई की अदालत ने सज़ा माफ़ी का विरोध किया था.
गुजरात पुलिस ने संदीप पांडे समेत सात एक्टिविस्ट को 25 सितंबर की देर रात इसलिए हिरासत में ले लिया, क्योंकि वे अगले दिन गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कर का शिकार हुईं बिलक़ीस बानो के समर्थन में और उनके दोषियों की समयपूर्व रिहाई के विरोध में एक पदयात्रा निकालने वाले थे.
बिलक़ीस बानो मामले 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई के ख़िलाफ़ माकपा नेता सुभाषिनी अली, स्वतंत्र पत्रकार रेवती लाल और लखनऊ की पूर्व प्रोफेसर व कार्यकर्ता रूपरेखा वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की है. उनकी याचिका का विरोध करने वाले दोषी पर बीते दिनों एक गवाह ने उन्हें धमकाने का आरोप लगाया है.
गुजरात सरकार द्वारा इसकी क्षमा नीति के तहत बिलक़ीस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के मामले में उम्रक़ैद की सज़ा काट रहे 11 दोषियों को समयपूर्व रिहा किया गया है. इस मामले में प्रमुख गवाह रहे एक शख़्स ने आरोप लगाया है कि रिहा हुए एक दोषी ने उन्हें मारने की धमकी दी है.