क्या भाजपा देशभर में निरंतर हिंसा का माहौल बनाए रखना चाहती है

तनाव भरे माहौल में हमेशा हिंसा की आशंका रहती है. समझदारी उससे बचने में है. प्रत्येक हिंसा समाज में समुदायों के बीच खाई को और चौड़ा करती है. भाजपा की राजनीति के लिए यही मुफ़ीद है. 

त्रिपुरा हिंसाः यूएपीए का सामना कर रहे पत्रकारों, कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया

त्रिपुरा पुलिस ने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर त्रिपुरा के उत्तरी ज़िलों में हालिया सांप्रदायिक हिंसा के ख़िलाफ़, यहां तक ​​कि इसका केवल उल्लेख करने के लिए कई पत्रकारों समेत 102 लोगों पर कड़े ग़ैरक़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया था.

त्रिपुरा में पत्रकार पर यूएपीए लगाया जाना मीडिया को ख़ामोश करने की कोशिश: आईडब्ल्यूपीसी

इंडियन वूमंस प्रेस कोर ने त्रिपुरा में एक पत्रकार समेत कइयों पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किए जाने को लेकर राज्य पुलिस की आलोचना करते हुए इन्हें तत्काल वापस लिए जाने की मांग की है. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा कि वह पत्रकारों के ख़िलाफ़ पुलिस की कार्रवाई से स्तब्ध है और यह राज्य सरकार द्वारा हिंसा को नियंत्रित करने में अपनी विफलता से ध्यान हटाने का एक प्रयास है.

त्रिपुरा: सांप्रदायिक हिंसा पर सोशल मीडिया पोस्ट के लिए 102 लोगों पर यूएपीए के तहत केस दर्ज

तीन नवंबर को लिखे एक पत्र में पश्चिम अगरतला थाने ने ट्विटर को उसके प्लेटफॉर्म से कम से कम 68 खातों को ब्लॉक करने और उनकी व्यक्तिगत जानकारी देने का अनुरोध करते हुए बताया कि इनके ख़िलाफ़ यूएपीए की धारा 13 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है. विपक्ष ने इसे लेकर सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधा है.

त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा का लाभ किसे मिल रहा है…

त्रिपुरा में मुसलमान विरोधी हिंसा भाजपा की राजनीतिक आवश्यकता है. एक तो चुनाव होने वाले हैं और जानकारों का कहना है कि हर चुनाव में ऐसी हिंसा से भाजपा को लाभ होता है. दूसरे, इस फौरी कारण के अलावा मुसलमान विरोधी घृणा को हिंदू समाज का स्वभाव बनाने के लिए ऐसी हिंसा का संगठन ज़रूरी है.

त्रिपुरा: पत्रकारों पर हमले बढ़े, पुलिस ने 2020 से अब तक 24 मामले दर्ज किए

साल 2018 में राज्य में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से ही पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं और बीते सितंबर में मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के पत्रकारों को धमकी देने के बाद से इसमें इज़ाफ़ा हुआ है. 2020 में पत्रकारों पर हमले के 17 मामले दर्ज किए हुए जबकि 2021 में अब तक ऐसे सात मामले दर्ज किए गए हैं.

त्रिपुराः भाजपा समर्थित हमलावरों को रोकने की पोस्ट करने पर वाम नेताओं पर कई एफआईआर

लेफ्ट फ्रंट के संयोजक बिजन धर ने अगरतला में हुए कुछ हमलों को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखी थीं, जिसके बाद त्रिपुरा पुलिस ने उन पर कथित तौर पर हिंसा भड़काने के लिए मामला दर्ज किया है. धर के अलावा माकपा के पूर्व सांसद जितेंद्र चौधरी और विधायक भानु लाल साहा के ख़िलाफ़ भी उनकी कई पोस्ट को लेकर एफआईआर दर्ज हुई है.

त्रिपुराः मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पोस्ट करने के लिए दो गिरफ़्तार, ज़मानत मिली

आरोप है कि मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के ख़िलाफ़ सात अप्रैल को फेसबुक पर दो लोगों ने आपत्तिजनक पोस्ट की थी, जिसके बाद उन्हें अगले दिन गिरफ़्तार कर लिया गया था. इससे पहले भी मुख्यमंत्री के खिलाफ पोस्ट करने वाले कई लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है.

त्रिपुरा: भाजपा-माकपा के बीच झड़प की कवरेज पर गए तीन पत्रकारों पर हमला

पुलिस के अनुसार हमले में कोई पत्रकार घायल नहीं हुआ है. वहीं राज्य के एक मीडिया संगठन का कहना है कि यह हमला अचानक हुई घटना नहीं है बल्कि सितंबर में मुख्यमंत्री बिप्लब देब के मीडिया को कथित तौर पर धमकाने के बाद राज्य भर में पत्रकारों पर हुए लगातार हमलों का हिस्सा है.

त्रिपुरा: मुख्यमंत्री के मीडिया को कथित तौर पर धमकाने से नाराज़ पत्रकार, कहा- वापस लें बयान

मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने शुक्रवार को कहा था कि ‘कुछ अति उत्साहित अख़बार’ राज्य में कोविड-19 की स्थिति के बारे में जनता में भ्रम फैला रहे हैं, जिन्हें मैं कभी माफ़ नहीं करूंगा. मीडिया संगठनों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि राज्य सरकार मीडिया को अपना ग़ुलाम बनाने की कोशिश कर रही है.

मिज़ोरम से विस्थापित ब्रू आदिवासी त्रिपुरा में स्थायी रूप से बसेंगे, समझौते पर हुआ हस्ताक्षर

वर्ष 1997 में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान ब्रू समुदाय के तक़रीबन 37 हज़ार लोग मिज़ोरम छोड़कर त्रिपुरा के मामित, कोलासिब और लुंगलेई ज़िलों में बस गए थे. इन्हें वापस भेजने के क्रम में पिछले साल केंद्र ने ​त्रिपुरा के ब्रू शरणार्थी शिविरों में दी जाने वाली मुफ्त राशन की व्यवस्था रोक दी थी, जिसके बाद काफी प्रदर्शन ​हुआ था.

मुफ्त राशन की व्यवस्था बहाल करने की मांग पर ब्रू शरणार्थियों ने सड़क जाम रखा

केंद्र सरकार ने बीते एक अक्टूबर को त्रिपुरा के उत्तरी ज़िलों में स्थित छह ब्रू राहत शिविरों में मुफ्त राशन और नकद सहायता रोक दी, क्योंकि शरणार्थियों ने मिज़ोरम वापस लौटने से इनकार कर दिया था. इसके बाद से शरणार्थी उत्तर त्रिपुरा ज़िले में आनंद बाजार से कंचनपुर के बीच सड़क जाम कर प्रदर्शन कर रहे हैं.

त्रिपुरा: ब्रू राहत शिविरों में कथित तौर पर भूख से मरने वालों की संख्या बढ़कर छह हुई

मिजोरम ब्रू डिस्प्लेस्ड पीपुल्स फोरम ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा पिछले महीने से राहत शिविरों के लोगों के लिए मुफ्त राशन और नकद सहायता बंद किए जाने के बाद भुखमरी से लोगों की मौत हुई है.

नॉर्थ ईस्ट डायरी: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य मंत्री को कैबिनेट से बाहर निकाला

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, त्रिपुरा, मेघालय, मिज़ोरम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के प्रमुख समाचार.

त्रिपुरा में माकपा मुखपत्र का रजिस्ट्रेशन रद्द, एडिटर्स गिल्ड ने आदेश वापस लेने का अनुरोध किया

एडिटर्स गिल्ड ने मामले की जांच कराने की मांग करते हुए सवाल उठाया है कि कहीं ये फैसला राजनीति से प्रेरित तो नहीं. एक अक्टूबर को रजिस्ट्रार ऑफ न्यूज़पेपर फॉर इंडिया माकपा के मुखपत्र 'डेली देशेर कथा' का पंजीकरण रद्द कर दिया था.