दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद संघर्ष के प्रतीक नोबेल पुरस्कार विजेता डेसमंड टूटू का निधन

डेसमंड टूटू को रंगभेद के कट्टर विरोधी और अश्वेत लोगों के दमन वाले दक्षिण अफ्रीका के क्रूर शासन के ख़ात्मे के लिए अहिंसक रूप से अथक प्रयास करने के लिए जाना जाता है. साल 1994 में दक्षिण अफ्रीका से रंगभेद के औपचारिक अंत के बाद भी टूटू ने मानवाधिकारों के लिए अपनी लड़ाई को नहीं रोका था. वह एचआईवी/एड्स, नस्लवाद, होमोफोबिया और ट्रांसफोबिया सहित तमाम मुद्दों पर आवाज़ उठाते रहते थे.

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मामला पूर्वी बर्दवान जिले के एक स्कूल का है, जहां प्री-प्राइमरी की अंग्रेजी वर्णमाला की किताब में यू अक्षर को समझाने के लिए अग्ली यानी बदसूरत शब्द का इस्तेमाल किया गया है, साथ ही इस शब्द के सामने अश्वेत शख़्स का चित्र छपा है.

क्या गांधी नस्लवादी थे?

उम्र के दूसरे दशक में गांधी निस्संदेह एक नस्लवादी थे. वे सभ्यताओं के पदानुक्रम यानी ऊंच-नीच में यक़ीन करते थे, जिसमें यूरोपीय शीर्ष पर थे, भारतीय उनके नीचे और अफ्रीकी सबसे निचले स्थान पर. लेकिन उम्र के तीसरे दशक तक पहुंचते-पहुंचते उनकी टिप्पणियों में अफ्रीकियों के भारतीयों से हीन होने का भाव ख़त्म होता गया.