कोर्ट ने वॉट्सऐप ग्रुप के एक एडमिन के ख़िलाफ़ दर्ज एफआईआर ख़ारिज की, जिसमें आरोप था कि एक मेंबर द्वारा महिला पर आपत्तिजनक टिप्पणी किए जाने पर उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की. अदालत ने कहा कि महज़ एडमिन होने मात्र से ये साबित नहीं होता है कि मैसेज में उनकी सहमति शामिल थी.
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के ख़िलाफ़ सीबीआई जांच का अनुरोध करते हुए आपराधिक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि देशमुख ने निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वझे समेत अन्य अधिकारियों को मुंबई के बार एवं रेस्तरां से प्रति माह 100 करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा था. अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई को देशमुख ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर जांच शुरू करने के लिए पर्याप्त सामग्री
बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह यह सुनिश्चित करे कि पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किए गए अभियुक्तों की कोविड-19 जांच की जाए और उनका परिणाम नकारात्मक आने पर ही न्यायिक हिरासत में भेजा गया.
महाराष्ट्र देश में कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित राज्य है. यहां पूरे देश के लगभग 40 फ़ीसदी मामले हैं और ज़रूरत के अनुरूप केंद्र सरकार राज्य को रेमडेसिविर आवंटित नहीं कर रही थी, जिसकी सूचना हाईकोर्ट को दिए जाने के बाद अदालत ने जवाब मांगा है.
भीमा-कोरेगांव हिंसा से जुड़े एलगार परिषद मामले में आरोपी नागरिक अधिकार कार्यकर्ता शोमा सेन ने कहा है कि उनके खिलाफ मामला इलेक्ट्रॉनिक सबूतों के आधार पर तैयार किया गया था, जिसे एनआईए ने कार्यकर्ता रोना विल्सन के कंप्यूटर से बरामद होने का दावा किया था. उन्होंने कहा कि उनके ख़िलाफ़ इकट्ठा किए गए सबूत फ़र्ज़ी हैं और उन्हें प्लांट किया गया है.
मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख के ख़िलाफ़ सीबीआई जांच की मांग की थी. सोमवार को अदालत ने सीबीआई को पंद्रह दिनों के अंदर एक आरंभिक जांच पूरी करने का निर्देश दिया है. परमबीर का आरोप है कि गृहमंत्री देशमुख ने पुलिस से हर महीने बार और होटलों से 100 करोड़ की वसूली करने को कहा था.
2017 में 'माओवादी संबंधों' को लेकर दोषी ठहराए गए दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामलाल आनंद कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर जीएन साईबाबा नागपुर जेल में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे हैं. उनकी पत्नी वसंता का कहना है कि वे उनकी बर्ख़ास्तगी को अदालत में चुनौती देंगी.
सुप्रीम कोर्ट ने गोवा सरकार के संबंध में यह आदेश दिया, जहां पिछले साल राज्य के क़ानून सचिव को नगरपालिका परिषद का चुनाव कराने के लिए राज्य का चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था. अदालत ने राज्य सरकारों से कहा कि वे यह सुनिश्चित करें कि राज्य चुनाव आयोग पूरी तरह स्वतंत्र और निष्पक्ष होकर काम करें.
दिसंबर 2013 में संतोष अख़्तर नाम के शख़्स ने चाय न बनाने पर अपनी पत्नी पर हथौड़े से हमला कर दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी. अदालत ने कहा कि सामाजिक स्थितियों के कारण महिलाएं स्वयं को अपने पतियों को सौंप देती हैं, इसलिए इस प्रकार के मामलों में पुरुष स्वयं को श्रेष्ठतर और अपनी पत्नियों को ग़ुलाम समझने लगते हैं.
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली की एक अदालत ने 2017 में जीएन साईबाबा और चार अन्य को माओवादियों से संपर्क रखने और देश के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने जैसी गतिविधियों में संलिप्तता के लिए सज़ा सुनाई थी. तब से वह नागपुर जेल में बंद हैं.
एनआईए अदालत ने जुलाई 2020 में एलगार परिषद मामले में आरोपी गौतम नवलखा की डिफॉल्ट ज़मानत याचिका ख़ारिज कर दी थी, जिसे चुनौती देते हुए उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में आपराधिक अपील दायर की थी.
एक युवक ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि वे जिस युवती से विवाह करना चाहते हैं, उसके परिजन दोनों के अलग धर्मों के चलते इसके ख़िलाफ़ हैं और युवती को ज़बरदस्ती अपने साथ ले गए हैं. अदालत ने युवती से बात करने के बाद कहा कि वे बालिग हैं और अपनी इच्छा के अनुरूप शादी करने के लिए स्वतंत्र हैं.
एक मामले में 462 दिन की देरी से दायर याचिका ख़ारिज कर अधिकारियों को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसका मक़सद सिर्फ़ मामले से यह कहकर छुटकारा पाना है कि अब इसमें कुछ नहीं किया जा सकता, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अपील ख़ारिज कर दी है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस एसएस शिंदे ने कहा कि आलोचना के लिए न्यायपालिका को तैयार होना चाहिए, क्योंकि अवमानना की सुनवाइयों में कीमती न्यायिक समय बर्बाद होता है और ज़रूरी मुद्दे नहीं सुने जाते.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि अगर हम युवाओं को उनके विचार अभिव्यक्त नहीं करने देंगे तो उन्हें कैसे पता चलेगा कि वे जो अभिव्यक्त कर रहे हैं, वह सही है या ग़लत.