हार्वे ने सृष्टि की असाधारण सुंदरता और वैचित्र्य से प्रभावित होकर यह उपन्यास रचा है. हार्वे चाहती थीं कि उनके इस उपन्यास को सुंदरता और प्रेम के साथ किसी नायाब चीज पर लिखी गयी किताब के रूप में पढ़ा जाए. बुकर समिति ने उनकी इस आकांक्षा को साकार कर दिया है.
'फिक्शन' श्रेणी में प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार पाने वाला पॉल लिंच का उपन्यास 'प्रोफेट सॉन्ग' आयरलैंड में तानाशाही राज के बीच अपने परिवार की रक्षा के लिए एक महिला के संघर्ष के बारे में है.
श्रीलंकाई लेखक शेहान करुणातिलक को उनके उपन्यास ‘द सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’ के लिए बुकर पुरस्कार दिया गया है. उनके उपन्यास में माली अलमेडा नामक एक युद्ध फोटोग्राफर की कहानी है, जो मौत के बाद स्वर्ग पहुंचता है और गृहयुद्ध के अत्याचारों की तस्वीरों का एक ज़ख़ीरा उसके हाथ लग जाता है.
लेखक गीतांजलि श्री के मूल रूप से हिंदी में लिखे गए उपन्यास 'रेत समाधि' के डेज़ी रॉकवेल द्वारा किए अंग्रेज़ी अनुवाद ‘टूम्ब ऑफ सैंड’ को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. बुकर पाने वाला यह किसी भारतीय भाषा का पहला उपन्यास है.
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से ताल्लुक रखने वाली लेखक गीतांजलि श्री का हिंदी से अंग्रेज़ी भाषा में अनूदित उपन्यास ‘टूम्ब ऑफ सैंड’ विश्व की उन 13 पुस्तकों में शामिल है, जिसे अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए संक्षिप्त सूची में शामिल किया गया है. यह पुस्तक मूल रूप से हिंदी में ‘रेत समाधि’ के नाम से प्रकाशित हुई थी.
डेमन गैलगट का उपन्यास ‘द प्रॉमिस’ दक्षिण अफ्रीका के नस्लवादी इतिहास के बीच एक श्वेत परिवार की कहानी पर आधारित है. गैलगट इस पुरस्कार के दावेदारों की अंतिम सूची में तीसरी बार पहुंचे थे. इससे पहले उन्हें 2003 में ‘द गुड डॉक्टर’ और 2010 में ‘इन अ स्ट्रेंज रूम’ के लिए दावेदारों की अंतिम सूची में स्थान मिला था, लेकिन दोनों बार वह जीत नहीं पाए थे.