बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना की अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि इससे विकास की दौड़ में पिछड़ रहे समुदायों की प्रगति में मदद मिलेगी. इसकी मांग न केवल बिहार बल्कि कई राज्यों से आ रही है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में जाति के आधार पर जनगणना को ख़ारिज करते हुए कहा था कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर’ है.
शीर्ष अदालत में केंद्र की दलील ऐसे समय में आई है, जब उसे विपक्षी दलों और यहां तक कि जदयू जैसे उसके सहयोगियों से जातिगत जनगणना की मांग लगातार की जा रही है. बीते 20 जुलाई को लोकसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि भारत सरकार ने फैसला किया है कि जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जाति-वार आबादी की गणना नहीं की जाएगी.
वीडियो: ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के उस फ़ैसले को असंवैधानिक क़रार दिया है, जिसमें उन्होंने ब्रिटिश संसद को भंग कर दिया था. इस घटनाक्रम की भारत से तुलना करते हुए सवाल उठा रही हैं आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
11 जजों द्वारा सर्वसम्मति से लिए गए फ़ैसले पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि वह इससे असहमत हैं लेकिन इसका सम्मान करेंगे.