जिला मजिस्ट्रेट को लिखे एक पत्र में त्रिपुरा के ब्रुहापारा बस्ती क्षेत्र के सहायक प्रभारी करणजॉय रियांग ने कहा कि आंतरिक रूप से विस्थापित ब्रू आदिवासी लोग, जिन्हें जातीय संघर्षों के कारण अपने गृह राज्य मिज़ोरम से भागना पड़ा था, उन्हें अक्टूबर 2022 से भत्ता नहीं मिला है, जिससे वे संकट में हैं.
उत्तरी त्रिपुरा ज़िले के कंचनपुर और पानीसागर उपसंभागों में मिज़ोरम से आए ब्रू शरणार्थी सात राहत शिविरों में रह रहे हैं. एक अधिकारी ने बताया कि उन्हें आदेश मिला है कि शिविरों में ठहरे शरणार्थी यदि कहीं और पुनर्वास के लिए राजी नहीं होते हैं तो एक सितंबर से उन्हें दी जाने वाली मुफ़्त राशन आदि जैसी मदद रोक दी जाएगी.
केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री प्रतिमा भौमिक ने कहा कि ब्रू लोगों के पुनर्वास की प्रगति की समीक्षा की गई और ऐसा प्रतीत होता है कि पुनर्वास के संबंध में एक महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. केवल 500 परिवारों को अभी तक ज़मीन नहीं मिली है और उन सभी को 20 मई तक प्लॉट दिए जाएंगे.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भेजे पत्र में ब्रू विस्थापित युवा संघ ने पुनर्वास प्रक्रिया को पूरा करने में देरी के लिए त्रिपुरा की बिप्लब देव सरकार के लापरवाही भरे रवैये को ज़िम्मेदार ठहराया है.
वर्ष 1997 में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान ब्रू समुदाय के 30 हज़ार से अधिक लोग मिज़ोरम छोड़कर त्रिपुरा के कुछ ज़िलों में बस गए थे. त्रिपुरा सरकार ने क़रीब 33,000 ब्रू लोगों के पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू की है. वहीं, मिज़ोरम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि तुइरियाल विधानसभा सीट पर उपचुनाव के मद्देनज़र उठी ब्रू मतदाताओं के नाम हटाने की मांग की याचिकाएं निर्वाचन आयोग को भेज दी गई हैं.
मिज़ोरम से आए ब्रू प्रवासियों को त्रिपुरा में बसाने के विरोध में संयुक्त आंदोलन समिति उत्तरी त्रिपुरा ज़िले के पानीसागर में असम-अगरतला राष्ट्रीय राजमार्ग को बंद कर प्रदर्शन कर रही थी, जब पुलिस ने बल प्रयोग और फायरिंग की. पुलिस का कहना है कि उनकी तरफ से आत्मरक्षा में गोली चलाई गई थी.
वर्ष 1997 में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान ब्रू समुदाय के 30 हज़ार से अधिक लोग मिज़ोरम छोड़कर त्रिपुरा के कुछ ज़िलों में बस गए थे. वापस मिज़ोरम लौटने से इनके इनकार के बाद त्रिपुरा सरकार ने तकरीबन 33,000 ब्रू लोगों के पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू की है.
1997 में जातीय संघर्ष के बाद मिज़ोरम से 35,000 से अधिक ब्रू आदिवासियों को त्रिपुरा पलायन करना पड़ा था. इन्हें वापस भेजने के लिए जुलाई 2018 में एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे, लेकिन यह क्रियान्वित नहीं हो सका, क्योंकि अधिकांश लोगों ने मिज़ोरम वापस जाने से इनकार कर दिया था. अब इन्हें त्रिपुरा में ही बसाए जाने का फैसला लिया गया है.
वर्ष 1997 में हुई मिज़ो समुदाय के साथ हुई जातीय हिंसा के बाद ब्रू समुदाय के 35 हज़ार से अधिक लोगों को मिज़ोरम छोड़कर त्रिपुरा पलायन करना पड़ा था. इन्हें वापस मिज़ोरम भेजने की प्रक्रिया लगातार विफल होने के बाद इस साल जनवरी में इन लोगों को त्रिपुरा में ही बसाए जाने का समझौता किया गया है.