कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल देनदारियों में ख़तरनाक वृद्धि और ऋण का बढ़ता बोझ तेलंगाना की वित्तीय स्थिति ख़राब होने का संकेत देता है. राज्य का बकाया कर्ज़ राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 35.64% है, जो 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक है.
इस बजट में मुसलमानों के उत्थान और उनकी शिक्षा के लिए चल रही तमाम योजनाओं में कटौती की गई है. यह स्पष्ट है कि भाजपा के लिए मुसलमान का कोई मोल नहीं है.
नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में अनुप्रासों की झड़ी लगाते रहे हैं- कभी चमत्कार पैदा करने, तो कभी अपनी ‘बौद्धिकता’ का लोहा मनवाने के लिए. हालांकि आगामी 23 जुलाई को उनकी तीसरी सरकार का पहला बजट आएगा तो इस ‘संकट’ से रूबरू होंगे कि ऐसा कौन-सा नया अनुप्रास गढ़ें और कैसे?
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वीडियो: मोदी सरकार के अंतरिम बजट को लेकर चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु और ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर दीपांशु मोहन.
वीडियो: लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के अंतरिम बजट और देश की अर्थव्यवस्था को लेकर अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार से बात कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु.
कृषि मंत्रालय के तहत आने वाले कृषि और किसान कल्याण विभाग ने पिछले वित्तीय वर्ष (अप्रैल 2022-मार्च 2023) के दौरान अपने 1.24 लाख करोड़ रुपये के वार्षिक आवंटन में से 21,005.13 करोड़ रुपये वापस किए हैं. इसी मंत्रालय के तहत आने वाले कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग ने भी साल दर साल आवंटित राशि वापस लौटा दी है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, मनरेगा योजना के तहत काम की मांग पिछले साल की समान अवधि की तुलना में बढ़ गई है. सितंबर तक योजना के तहत काम चुनने वाले व्यक्तियों की संख्या भी एक साल पहले की तुलना में इस साल 4.6 प्रतिशत बढ़कर लगभग 19 करोड़ हो गई है.
लोकसभा में पेश कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि मंत्रालय द्वारा वापस की गई धनराशि मुख्य रूप से उत्तर-पूर्वी राज्यों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के कल्याण के लिए बनाई गई योजनाओं के लिए ‘कम आवश्यकता’ के कारण है.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने चार साल पहले 2018 के विधानसभा चुनावों में बेरोज़गारी भत्ता देने का वादा किया था. राज्य में अगला विधानसभा चुनाव इसी साल नवंबर में होना है.
‘नरेगा संघर्ष मोर्चा’ के बैनर तले महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (मनरेगा) के श्रमिक विभिन्न मांगों को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर पिछले दो हफ़्तों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. विशेष रूप से अनिवार्य ऐप आधारित उपस्थिति प्रणाली को लेकर मज़दूरों में आक्रोश और असमंजस की स्थिति है.
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (मनरेगा) के लाभार्थियों पर मज़दूरी का वित्तीय बोझ भी राज्य सरकारों द्वारा उठाया जाना चाहिए, ताकि उन्हें भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने के लिए और अधिक सक्रिय बनाया जा सके.
केंद्र सरकार के बजट में सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य व शिक्षा को न केवल दरकिनार किया गया है बल्कि मनरेगा सरीखी कई ज़रूरी योजनाओं के आवंटन में भारी कटौती की गई है. ऐसे में झारखंड जैसा राज्य जो कुपोषण, ग़रीबी व ग्रामीण बेरोज़गारी से जूझ रहा है, वहां आने वाले राज्य बजट के पहले पिछले बजटों में की गई घोषणाओं के आकलन की ज़रूरत है.
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के तहत केंद्र द्वारा 14 राज्यों को 6,157 करोड़ रुपये का बकाया देना बाकी है. इनमें 8 राज्य विपक्ष शासित हैं. लगभग 2,700 करोड़ रुपये अकेले पश्चिम बंगाल को देना बाकी है.
आरएसएस से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पेश बजट में की गईं कई घोषणाओं पर असंतोष व्यक्त किया है और कहा है कि आज देश चीन से रिकॉर्ड तोड़ आयात और बढ़ते व्यापार घाटे से गुज़र रहा है, लेकिन वित्त मंत्री का ध्यान इस ओर नहीं गया.