ग्राउंड रिपोर्ट: गोरखपुर में 20 दिसंबर को नागरिकता क़ानून और एनआरसी के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन के बाद पुलिस ने कई लोगों को गिरफ़्तार किया था. इनमें से कई के परिजनों का कहना है कि गिरफ़्तार किए लोग प्रदर्शन में मौजूद नहीं थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया और बेरहमी से मारपीट की गई.
सीएए और एनआरसी को लेकर हो रहे राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन और व्यापक स्तर पर संविधान की बुनियाद पर हमले को लेकर बनी समझ भारतीय राजनीति को एक महत्वपूर्ण बिंदु पर ले आए हैं. इस पृष्ठभूमि में क्षेत्रीय और उप-राष्ट्रीय अस्मिताओं की बढ़ती मुखरता नई राजनीति के लिए एक मज़बूत ज़मीन तैयार कर रही है. तमाम संसाधनों और हिंदू वोट बैंक के बावजूद मोदी और शाह इसे हल्के में नहीं ले सकते.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई युद्धस्तर पर कराने की बात कही.
विशेष अदालत ने उनकी हिरासत 10 दिन बढ़ाने के लिए एनआईए की अर्जी खारिज कर दी. गोगोई को यूएपीए कानून के तहत 12 दिसंबर को जोरहाट से तब गिरफ्तार किया था, जब असम में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहा था.
असम में नागरिकता क़ानून को लेकर हो रहे प्रदर्शनों के बीच सामाजिक कार्यकर्ता अखिल गोगोई को यूएपीए के तहत मामला दर्ज 12 दिसंबर को गिरफ़्तार किया गया था. असम की एक अदालत ने उन्हें 17 दिसंबर को 10 दिन की एनआईए की हिरासत में भेज दिया था.
जिस नागरिकता क़ानून को गांधी जी और भारतीयों ने आज से 113 साल पहले विदेशी धरती पर नहीं माना, उस औपनिवेशिक सोच से निकले सीएए और एनआरसी को हम आज़ाद भारत में कैसे स्वीकार कर सकते हैं?
भारतीय जनता पार्टी के यूथ विंग द्वारा हाल ही में नागरिकता क़ानून के पक्ष में जारी किए वीडियो में बंगाली फिल्मकार ऋत्विक घटक की फिल्मों के क्लिप इस्तेमाल किए गए हैं. घटक के परिवार ने इसकी निंदा करते हुए कहा है कि ऋत्विक सेकुलर थे और यह क़ानून उन सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है, जिन्हें वे मानते थे.
यह हक़ की लड़ाई है. एक तरफ नफ़रत है और एक तरफ हम. मैं यक़ीन दिलाना चाहता हूं कि हम सही हैं. नफ़रती पूरी कोशिश कर रहे हैं पर हमने भी गांधी जी का दामन थाम रखा है. मैं ये भी यक़ीन दिलाता हूं कि हम जीतेंगे क्योंकि इसके अलावा कोई चारा नहीं है.
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने साबरमती आश्रम में नागरिकता कानून के समर्थन में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि जब आजादी मिली तब भारत में मुस्लिमों की आबादी कुल जनसंख्या का महज नौ फीसदी थी, जो 70 साल में बढ़कर 14 फीसदी हो गई है.
अगर नागरिकता संशोधन क़ानून दूसरे देशों के मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है, तो एनआरसी भारत के मौजूदा नागरिकों के प्रति शत्रुतापूर्ण है, जिसके कारण यह कहीं ज़्यादा ख़तरनाक है.
आईआईटी मद्रास से फिजिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे जर्मन छात्र जैकब लिंडेनथल ने कहा है कि वे नागरिकता क़ानून और एनआरसी के ख़िलाफ़ कैंपस में हुए एक प्रदर्शन में शामिल हुए थे, जिसके बाद उन्हें चेन्नई में विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय से भारत छोड़ने के निर्देश मिले.
नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ शुरू हुए आंदोलन का हासिल यह है कि आज हर कोई यह सवाल कर रहा कि आख़िर इस क़ानून की ज़रूरत क्या थी, एनआरसी क्यों लाई जाएगी. इस पर भी चर्चा शुरू हो गई है कि अगर वोटर कार्ड है, आधार है तो अब रजिस्ट्रेशन किस बात का.
वीडियो: नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं. शुक्रवार को दिल्ली के दिल्ली गेट इलाके में भी लोगों ने इस क़ानून के ख़िलाफ़ अपना विरोध दर्ज कराया. द वायर के शेखर तिवारी की प्रदर्शनकारियों से बातचीत.
मुर्शिदाबाद पुलिस ने बताया कि राधामाधबतला गांव के कुछ लोगों ने सियालदाह-लालगोला लाइन पर जा रहे एक रेल इंजन पर लुंगी-टोपी पहने कुछ लड़कों को पत्थर फेंकते देखा और पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया. इनमें एक स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता भी शामिल है.
19 दिसंबर 1927 को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अशफ़ाक़उल्ला ख़ां को फ़ैज़ाबाद जेल में फांसी दी गई थी. अयोध्या में उनके शहादत स्थल पर हर साल आयोजित होने वाले सभी श्रद्धांजलि कार्यक्रमों व समारोहों पर नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर प्रदर्शन की आशंका के चलते रोक लगा दी गई है.