लॉटरी में भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद साल 2015 में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा ऑडिट का निर्णय लिया गया था, जिसमें कंपनी के मालिक सैंटियागो मार्टिन एक अहम व्यक्ति थे. इस कंपनी ने चुनावी बॉन्ड के ज़रिये राजनीतिक दलों को सर्वाधिक कुल 1,368 करोड़ रुपये का चंदा दिया है.
मध्य प्रदेश विधानसभा में पेश की गई कैग रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 1,500 से अधिक अपात्र लाभार्थियों को योजना के तहत धनराशि जारी कर दी गई और एसटी/एससी और अधिक वंचित लाभार्थियों को प्राथमिकता देने के बजाय अन्य लोगों को तरजीह दी गई थी. वाहन वाले परिवारों के लिए यह सुविधा नहीं है, लेकिन ऐसे लोगों को लाभ दिए गए, जिनके पास वाहन थे.
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार की योजनाओं में अनियमितताओं की रिपोर्ट पर पर्दा डालने के लिए कैग का गला घोंटा जा रहा है. देश के सबसे बड़े ऑडिटर पर ‘बुलडोज़र चलवाया’ जा रहा है. हाल ही में कैग द्वारा फील्ड ऑडिट वर्क रोके जाने की ख़बरें आई थीं, लेकिन कैग ने इस बात से इनकार किया है.
द वायर को महाराष्ट्र के महालेखाकार द्वारा 9 अक्टूबर को जारी एक आदेश की एक प्रति मिली है, जिसमें कहा गया है कि सभी फील्ड ऑडिट कार्य ‘तत्काल प्रभाव से रोका जाए’. हालांकि कैग कार्यालय की ओर से भेजे एक ईमेल में कहा गया है कि फील्ड ऑडिट कार्य रोकने के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया गया है.
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा गुजरात विधानसभा में रखी गई एक ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि इसरो ने 2014 और 2017 में अपने अध्ययन में 12 वन्यजीव गलियारों की पहचान की थी और इसे संभावित गलियारों में आवास सुधार की सिफ़ारिश के साथ वन विभाग के साथ साझा किया था, लेकिन उसने अध्ययन के निष्कर्षों का संज्ञान नहीं लिया.
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के ऑडिट में अनियमितताओं को चिह्नित किया है. रिपोर्ट के अनुसार, इसके तहत 3,446 मरीज़ों के इलाज के लिए 6.97 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जिन्हें डेटाबेस में पहले ही मृत घोषित कर दिया गया था.
केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना 'आयुष्मान भारत' पर कैग द्वारा सौंपी गई ऑडिट रिपोर्ट में कई गड़बड़ियों की ओर इशारा किया गया है. तमिलनाडु में पंजीकृत 1,285 लाभार्थियों की आधार संख्या '0000000000' दर्शाई गई है. वहीं, 7.5 लाख लाभार्थी के मोबाइल नंबर समान पाए गए.
दिल्ली की एक अदालत ने छत्तीसगढ़ में कोयला ब्लॉक आवंटन में अनियमितता से संबंधित एक मामले में पूर्व राज्यसभा सदस्य विजय दर्डा, उनके बेटे देवेंद्र दर्डा, पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता और चार अन्य को दोषी ठहराया है. इस घोटाले को ‘कोलगेट’ क़रार दिया गया था.
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की संसद में पेश की गई वर्ष 2017-18 से 2020-21 के बीच की एक ऑडिट रिपोर्ट बताती है कि ट्रेन के पटरी से उतरने के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारक ‘पटरियों के रखरखाव’ से संबंधित है. वहीं, ट्रैक नवीनीकरण कार्यों के लिए धन के आवंटन में कमी आई है और आवंटित धन का भी पूरा इस्तेमाल नहीं किया गया है.
पिछले साल (कैग) ने यह देखते हुए कि राज्य 'क़र्ज़ के जाल में फंसता जा रहा है' बढ़ते सार्वजनिक ऋण को लेकर सरकार को चेताया था. इसका कहना था कि बढ़ते ऋण और घटते राजस्व को देखते हुए राज्य सरकार को ऋण चुकाने की एक सुविचारित रणनीति पर काम करना होगा.
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016-17 से 2021-22 के बीच संस्कृति मंत्रालय के तहत आने वाले प्रतिष्ठित कला संस्थान ललित कला अकादमी में सरकार के सामान्य वित्तीय नियमों को धता बताते हुए कई अनियमितताएं बरती गईं. वाहनों को किराये पर लेने, वकीलों की सेवा लेने, लैपटॉप की खरीद एवं वितरण में भी अनियमितताएं देखने को मिलीं.
केंद्र सरकार को भेजे एक प्रस्ताव में वकीलों एवं अन्य ने हालिया सेवानिवृत्त हुए भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने हैदराबाद स्थित गैर-सरकारी संस्थान इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन एंड मीडिएशन सेंटर (आईएएमसी) को बढ़ावा देने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया.
पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने हाल में संपन्न हुई 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी को लेकर कहा कि 'सरकार ने खुद अनुमान लगाया था कि 5जी पांच लाख करोड़ का बिकेगा, लेकिन अब इसकी नीलामी डेढ़ लाख करोड़ रुपये में हुई है. तो बाक़ी का पैसा कहां गया?'
कैग ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) की पहली ऑडिट रिपोर्ट में 2014-15 से 2018-19 के बीच यूआईडीएआई के कामकाज की जांच की है. इसने अपनी रिपोर्ट में उन पांच बिंदुओं को जगह दी है, जिन्हें लेकर यूआईडीएआई पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं.
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2019-20 की अवधि के दौरान प्रत्येक वर्ष केवल 16 से 50 प्रतिशत धन का उपयोग किया गया. जिसके चलते 684 करोड़ रुपये इस्तेमाल नहीं हो सके. फिर भी राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने पिछली किश्तों के उपयोग को सुनिश्चित किए बिना अगली किश्तों के लिए धन जारी कर दिया.