2016 में नोटबंदी के बाद से चलन में मुद्रा 83 फीसदी बढ़ी

2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा के पीछे उद्देश्य डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना, जाली नोटों पर लगाम लगाना और काले धन को रोकना था. हालांकि, आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि नोटबंदी से पहले चलन में मुद्रा या नोट 17.74 लाख करोड़ रुपये थे, जो 23 दिसंबर 2022 को बढ़कर 32.42 लाख करोड़ रुपये हो गए.

जनता के पास 30.88 लाख करोड़ मुद्रा मौजूद, नोटबंदी के बाद से 72 फीसदी अधिक: रिपोर्ट

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 21 अक्टूबर 2022 को समाप्त पखवाड़े में भारतीय जनता के पास 30.88 लाख करोड़ रुपये की मुद्रा नकदी में उपलब्ध थी, जो कि नोटबंदी से पहले 4 नवंबर 2016 को उपलब्ध 17.97 लाख करोड़ रुपये से 72 फीसदी या 12.91 लाख करोड़ रुपये अधिक है. 

नोटबंदी के पांच साल बाद मोदी सरकार के पास इसकी सफलता बताने के लिए कुछ भी नहीं है

नोटबंदी के अप्रत्याशित फ़ैसले के ज़रिये बात चाहे काले धन पर अंकुश की हो, आर्थिक प्रणाली से नकद को कम करने या टैक्स-जीडीपी अनुपात बढ़ाने की, आंकड़े मोदी सरकार के पक्ष में नहीं जाते.

नोटबंदी के पांच साल बाद भी नकद राशि अपने उच्चतम स्तर पर पहुंची: रिपोर्ट

पिछले महीने आठ अक्टूबर को समाप्त हुए पखवाड़े पर नकदी 28.30 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर रही, जो कि नोटबंदी से पहले चार नवंबर 2016 की तुलना में 57.48 फीसदी अधिक है. उस समय जनता के हाथों में 17.97 लाख करोड़ रुपये की नकद राशि उपलब्ध थी.

लोग 2,000 के नोटों की जमाखोरी में लगे हैं, इन्हें बंद कर देना सहीः पूर्व वित्त सचिव

पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने सरकार को 72 पेज का एक नोट लिखा है, जिसमें उन्होंने दो हज़ार रुपये के नोट को प्रचलन से बाहर करने, सरकारी कंपनियों का राष्ट्रीयकरण ख़त्म करने और निजीकरण को बढ़ावा देने समेत कई सुझाव दिए हैं.

साल 2018-19 में नकदी 17 फीसदी बढ़कर 21.1 लाख करोड़ रुपये पर पहुंची: आरबीआई

नोटबंदी से पहले 4 नवंबर, 2016 तक 17.74 लाख करोड़ रुपये की मुद्रा चलन में थी. इस तरह नोटबंदी से पहले की तुलना में नकद राशि यानि चलन में मुद्रा में करीब 19 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

नोटबंदी से पहले की तुलना में करीब 22 फीसदी नकदी बढ़ी

राज्यसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा दिए गए लिखित जवाब के मुताबिक नोटबंदी से पहले चार नवंबर, 2016 तक 17.97 लाख करोड़ रुपये की मुद्रा प्रचलन में थी, लेकिन अब ये राशि बढ़कर 21.71 लाख करोड़ रुपये हो गई है.