पाशविकता के कई हज़ार वर्ष

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: वर्ण भेद की सामाजिक व्यवस्था का इतनी सदियों से चला आना इस बात का सबूत है कि उसमें धर्म निस्संदेह और निस्संकोच लिप्त रहा है.

देश में मनुस्मृति के प्रति मोह छूटता क्यों नहीं दिख रहा है?

बीएचयू के धर्मशास्त्र मीमांसा विभाग ने ‘भारतीय समाज में मनुस्मृति की प्रयोज्यता’ पर शोध का प्रस्ताव दिया है. 21वीं सदी की तीसरी दहाई में जब दुनियाभर में शोषित उत्पीड़ितों में एक नई रैडिकल चेतना का संचार हुआ है, 'ब्लैक लाइव्ज़ मैटर' जैसे आंदोलनों ने विकसित मुल्कों के सामाजिक ताने-बाने में नई सरगर्मी पैदा की है, तब अतीत के स्याह दौर की याद दिलाती इस किताब की प्रयोज्यता की बात करना दुनिया में भारत की क्या छवि बनाएगा?

पेरियार ललई सिंह को जानना क्यों ज़रूरी है

पुस्तक समीक्षा: पांच भागों में बंटी धर्मवीर यादव गगन की ‘पेरियार ललई सिंह ग्रंथावली’ इस स्वतंत्रता सेनानी के जीवन और काम के बारे में बताते हुए दिखाती है कि आज़ादी के संघर्ष में तमाम आंदोलनकारी कैसे एक-दूसरे से न केवल जुड़े हुए थे बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर बहुजन एका की कार्रवाइयों को अंजाम दे रहे थे.

रामचरितमानस को वर्णव्यवस्था का हिमायती और संविधान विरोधी बताने की बहस बहुत पुरानी है

बिहार के शिक्षा मंत्री द्वारा रामचरितमानस की आलोचना को लेकर अगर कुछ नया है तो वह है इस पर हुआ हंगामा. श्रमण संस्कृति के पैरोकार विद्वान व सामाजिक कार्यकर्ता, तुलसीदास व रामचरितमानस की आलोचना में न सिर्फ इससे कहीं ज़्यादा कडे़ शब्द इस्तेमाल कर चुके हैं. एक दौर में तुलसीदास को ‘हिंदू समाज का पथभ्रष्टक’ तक क़रार दिया जा चुका है.

‘रामचरितमानस’ की आलोचना पर विवाद व्यर्थ है

‘रामचरितमानस’ की जो आलोचना बिहार के शिक्षा मंत्री ने की है वह कोई नई नहीं और न ही उसमें किसी प्रकार की कोई ग़लती है. उन पर हमलावर होकर तथाकथित हिंदू समाज अपनी ही परंपरा और उदारता को अपमानित कर रहा है.

बिहार: शिक्षा मंत्री ने ‘रामचरितमानस’ और ‘मनुस्मृति’ को समाज को बांटने वाला बताया

बृहस्पतिवार को अपने बयान को दोहराते हुए बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने दावा किया है कि ‘रामायण’ पर आधारित रामचरितमानस समाज में नफ़रत फैलाती है. भाजपा द्वारा माफ़ी की मांग पर उन्होंने कहा कि यह भगवा पार्टी है, जिसे तथ्यों की जानकारी नहीं होने के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए.

जाति व्यवस्था को पूरी तरह से ख़त्म करने की नीति ज़रूरी: मीरा कुमार

राजस्थान में कथित रूप से पानी का मटका छूने को लेकर शिक्षक की पिटाई के बाद एक दलित छात्र की मौत को लेकर जारी आक्रोश के बीच कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार ने एक साक्षात्कार में जाति प्रथा को पूरी तरह से ख़त्म करने और पूर्वाग्रह के ख़िलाफ़ कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपनाने पर ज़ोर दिया.

आरएसएस सवर्णों का संघ, प्रधानमंत्री मोदी बड़े नाटककार: सिद्धारमैया

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को ‘उच्च जातियों का संघ’ क़रार देते हुए केंद्र सरकार के ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को नाटक बताया. उन्होंने कहा कि उनके वैचारिक नेताओं जैसे वीडी सावरकर, एमएस गोलवलकर और आरएसएस के मुखपत्र ‘ऑर्गेनाइज़र’ ने तिरंगे का विरोध किया था, उन्हें बेनक़ाब करना चाहिए.

मद्रास हाईकोर्ट ने चोल वंश की आलोचना करने पर फिल्मकार के ख़िलाफ़ दर्ज केस रद्द किया

2019 में जाति विरोधी नेता टीएम उमर फ़ारुख़ की पुण्यतिथि के मौक़े रंजीत ने राजा राज चोलन की यह कहकर आलोचना की थी कि उनके शासनकाल में जाति व्यवस्था प्रचलन में थी, जिसके दौरान दलितों की ज़मीनें ज़ब्त की गईं और देवदासी प्रथा शुरू हुई. इस पर तंजावुर पुलिस ने स्वतः संज्ञान लेते हुए उनके ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की थी.

देश में दो प्रकार के हिंदू, एक जो मंदिर जा सकते हैं और दूसरे जो नहीं जा सकते: मीरा कुमार

लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि हम 21वीं सदी में रहते हैं, हमारे पास चमचमाती सड़कें हैं, लेकिन बहुत से लोग जो उन पर चलते हैं, आज भी जाति व्यवस्था से प्रभावित हैं. हमारा मस्तिष्क कब चमकेगा? हम कब अपनी जाति आधारित मानसिकता का त्याग करेंगे.

योगी सरकार के अंतरधार्मिक विवाहों को निशाना बनाने के पीछे मनु के आदर्श फैलाने की मंशा है

योगी आदित्यनाथ सरकार के नए क़ानून का उद्देश्य केवल ध्रुवीकरण नहीं बल्कि स्त्रियों को उनके अधिकारों और अपने लिए निर्णय लेने की उनकी क्षमता से उन्हें वंचित करना भी है.

‘लव जिहाद’ को लेकर हो रही राजनीति संघी मनुवाद का नया संस्करण है

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लाया गया ‘लव जिहाद' कानून और कुछ नहीं मनुस्मृति का ही नया रूप है, जो महिलाओं को समुदाय की संपत्ति मानकर ग़ुलाम बनाता है और संघर्षों से हासिल किए हुए अधिकारों को फिर छीन लेना चाहता है. यह जितना मुस्लिम विरोधी है, उतना ही हिंदू महिलाओं और दलितों का विरोधी भी है.

मनु का क़ानून और हिंदू राष्ट्र के नागरिकों के लिए उसके मायने

हिंदू राष्ट्र का ढांचा और उसकी दिशा मनुस्मृति में बताए क़ानूनी ढांचे के अंतर्गत ही तैयार होंगे और ये क़ानून जन्म-आधारित असमानता के हर पहलू- सामाजिक, आर्थिक और लैंगिक, सभी को मज़बूत करने वाले हैं.

न्यायिक और प्रशासनिक मामलों में किसी की जाति का उल्लेख संविधान के ख़िलाफ़: राजस्थान हाईकोर्ट

साल 2018 के एक मामले का जिक्र करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने एक स्थायी आदेश जारी करते हुए कहा है कि किसी व्यक्ति की जाति का उल्लेख किसी भी न्यायिक और प्रशासनिक मामले में नहीं किया जाना चाहिए.

केरल: मंदिर में शौचालय के बाहर लिखा ‘केवल ब्राह्मणों के लिए’ का बोर्ड, विवाद के बाद हटाया

केरल के कुट्टुमुक्कू महादेव मंदिर के तीन शौचालयों के बाहर लगे साइनबोर्ड पर पुरुष, महिला और केवल ब्राह्मण लिखा हुआ है. इस मामले में कोचीन देवस्वम बोर्ड ने जांच के आदेश दिए हैं.