इंटरनेट आर्काइव ने अपनी वेबसाइट से नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री हटाई

इंटरनेट आर्काइव दुनिया भर के यूजर्स द्वारा वेबपेज संग्रह और मीडिया अपलोड का एक भंडार है. बीबीसी की 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' डॉक्यूमेंट्री के पहले एपिसोड के संबंध में इसकी वेबसाइट पर यह लिखा दिख रहा है कि 'यह सामग्री अब उपलब्ध नहीं' है. 

अमिताभ बच्चन भारत पर किस ख़तरे की बात कर रहे हैं?

वीडियो: बीते दिनों कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में अभिनेता अमिताभ बच्चन ने नागरिक स्वतंत्रता और सेंसरशिप पर टिप्पणी की थी, जिसे मुख्यधारा के मीडिया में न के बराबर तवज्जो दी गई. इससे जुड़े व्यापक संदर्भ में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन की बातचीत.

जो जनता के हित में अप्रिय सत्य बोलता है, सत्ता उसे जनता का दुश्मन घोषित कर देती है

कोलकाता में हुए एक फिल्म समारोह में अभिनेता अमिताभ बच्चन का सत्यजीत रे की 'गणशत्रु' ज़िक्र करते हुए लगाया गया अनुमान ठीक है कि आज जनता के लिए आवाज़ उठाने वाले रे की फिल्म के 'डॉक्टर गुप्ता' ही हैं, जो जनता को सावधान करना चाहते हैं, मगर सत्ता सफल हो जाती है कि जनता उन्हें ही अपना शत्रु मानकर उनकी हत्या को आमादा हो जाए.

आपातकाल के स्याह दिन बनाम अच्छे दिन

जनतंत्र को अपने ठेंगे पर रखे घूम रहे लठैतों के इस दौर में 46 साल पहले के आपातकाल के 633 दिनों पर खूब हायतौबा मचाइए, मगर पिछले 2,555 दिनों से भारतमाता की छाती पर चलाई जा रही अघोषित आपातकाल की चक्की के पाटों को नज़रअंदाज़ मत करिए.

आपातकाल: नसबंदी से मौत की ख़बरें न छापी जाएं

आपातकाल के 44 साल बाद इन सेंसर-आदेशों को पढ़ने पर उस डरावने माहौल का अंदाज़ा लगता है जिसमें पत्रकारों को काम करना पड़ा था, अख़बारों पर कैसा अंकुश था और कैसी-कैसी ख़बरें रोकी जाती थीं.

मौजूदा समय में फिल्मकारों-लेखकों को ख़ुद पर ही सेंसरशिप लगानी पड़ रही है: महेश भट्ट

फिल्म 'नो फादर्स इन कश्मीर' के ट्रेलर रिलीज़ पर फिल्मकार महेश भट्ट ने कहा कि आज एक फिल्म निर्माता और लेखक कागज़ पर कलम चलाने से पहले दस बार सोचता है कि उसे क्या लिखना चाहिए, सीबीएफसी उसे मंज़ूरी देगा या नहीं.

बांग्लादेश की सरकार ने चर्चित ब्लॉगिंग साइट पर प्रतिबंध लगाया

ऑनलाइन पोर्नोग्राफी एवं गैंबलिंग पर कार्रवाई के तहत बांग्लादेश की शेख़ हसीना सरकार ने 20,000 से ज़्यादा वेबसाइटों को बंद करने का आदेश दिया. लोगों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है.

भारत में कंटेंट को सेंसर करेंगे नेटफ्लिक्स और हॉटस्टार

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग कंपनियों ने भारत में अपने कंटेंट के नियमन के लिए एक ड्राफ्ट तैयार किया है, हालांकि अमेजन के प्राइम वीडियो ने इसे मानने से इनकार किया है. अमेजन का कहना है कि वर्तमान नियम पर्याप्त हैं.

विशाल भारद्वाज ने कहा, सेंसर बोर्ड बहरा है

लेखक एवं निर्देशक विशाल भारद्वाज ने कहा कि समाज में जो कुछ भी गलत होता है उसका दोष मढ़ने के लिए फिल्में आसान लक्ष्य हैं. सेंसर बोर्ड फिल्म निर्माताओं की चिंताओं पर ध्यान नहीं देता है.

देश में संविधान लागू है और क़ानून अपना काम कर रहा है

रोजगार नहीं है. उत्पादन घट गया है. किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नसीब नहीं हो रहा है. हेल्थ सर्विस चौपट हो चली है. शिक्षा-व्यवस्था डांवाडोल है. मुस्लिम ख़ामोश हो गया है. दलित चुपचाप है लेकिन आवाज़ नहीं उठनी चाहिए क्योंकि देश में क़ानून अपना काम कर रहा है.

अब मीडिया सरकार की नहीं बल्कि सरकार मीडिया की निगरानी करती है: पुण्य प्रसून बाजपेयी

विशेष: वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी बता रहे हैं कि न्यूज़ चैनलों पर नकेल कसने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के भीतर बनाई गई 200 लोगों की ‘गुप्त फ़ौज’ क्या और कैसे काम करती है.

मुझे कहा गया कि न मोदी का नाम लूं, न ही उनकी तस्वीर दिखाऊं: पुण्य प्रसून बाजपेयी

बेस्ट ऑफ 2018: अपने इस लेख में मास्टरस्ट्रोक कार्यक्रम के एंकर रहे पुण्य प्रसून बाजपेयी उन घटनाक्रमों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं जिनके चलते एबीपी न्यूज़ चैनल के प्रबंधन ने मोदी सरकार के आगे घुटने टेक दिए और उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा.

क्या एबीपी न्यूज़ के पत्रकारों ने मोदी सरकार की आलोचना की कीमत चुकाई है?

सूत्रों के अनुसार चैनल में हुए इन बदलावों के बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को पिछले हफ्ते संसद भवन में कुछ पत्रकारों से कहते सुना गया था कि वे ‘एबीपी को सबक सिखाएंगे.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘आपातकाल’ इतना प्रिय क्यों है?

राजनीतिक विमर्श में आपातकाल नरेंद्र मोदी का प्रिय विषय रहता है. यह और बात है कि मोदी आपातकाल के दौरान एक दिन के लिए भी जेल तो दूर, पुलिस थाने तक भी नहीं ले जाए गए थे. भूमिगत रहकर उन्होंने आपातकाल विरोधी संघर्ष में कोई हिस्सेदारी की हो, इसकी भी कोई प्रमाणिक जानकारी नहीं मिलती.