झारखंड: सरना धर्म संहिता की मांग को लेकर आदिवासियों का प्रदर्शन

‘आदिवासी सेंगेल अभियान’ ने सरना धर्म संहिता और जनगणना प्रपत्र में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कॉलम की मांग को लेकर कहा कि यदि केंद्र 20 नवंबर तक ऐसा न करने की वजह बताने में विफल रहा तो ओडिशा, बिहार, झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल के पचास ज़िलों में आदिवासियों को 30 नवंबर से ‘चक्का जाम’ करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.

आदिवासियों ने प्रदर्शन कर कहा, ‘सरना’ को आदिवासियों के धर्म के तौर पर मान्यता दे केंद्र

झारखंड, ओडिशा और असम सहित पांच राज्यों के विभिन्न आदिवासी समुदायों के लोगों ने दिल्ली के जंतर मंतर में प्रदर्शन कर केंद्र से उनके धर्म को ‘सरना’ के रूप में मान्यता देने और आगामी जनगणना के दौरान इस श्रेणी के तहत उनकी गणना सुनिश्चित करने की मांग की. उनका कहना है कि देश में आदिवासियों का अपना धर्म, धार्मिक प्रथाएं और रीति-रिवाज हैं, लेकिन इसे अभी तक सरकार द्वारा मान्यता नहीं मिली है.

अरुणाचल प्रदेश: छात्रसंघ ने चकमा-हाजोंग शरणार्थियों की गणना के लिए दो हफ्ते का अल्टीमेटम दिया

अखिल अरुणाचल प्रदेश छात्रसंघ ने कहा कि चकमा और हाजोंग की जनगणना स्वदेशी लोगों की सुरक्षा के लिए आवश्यक डेटा को बनाए रखने के लिए एक नियमित प्रशासनिक अभ्यास है. इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री कार्यालय से राज्य सरकार को एक पत्र मिलने के बाद यह प्रक्रिया ठप हो गई.

जातिगत जनगणना तर्कसंगत मांग है, बेहतर नीतियां बनाने में मददगार साबित होगा: एनसीबीसी प्रमुख

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के अध्यक्ष डॉ. भगवान लाल साहनी ने कहा कि जाति आधारित जनगणना निश्चित तौर पर नीति निर्माताओं को पिछड़े वर्ग के लिए कल्याणकारी नीतियां बनाने में मददगार साबित होगी. अगर ऐसा हुआ तो सरकार के लिए यह जानना आसान होगा किस जाति के कितने लोग हैं और उनके लिए क्या किया जाना चाहिए.

बीते 20 सालों में हिंदुओं की तुलना में मुस्लिम आबादी घटीः रिपोर्ट

भारत में 1991 से 2001 के बीच और फिर 2001 से 2011 के बीच हिंदुओं की तुलना में मुस्लिम आबादी बढ़ी लेकिन इन दो दशकों में हिंदुओं की तुलना में मुस्लिमों की वृद्धि दर अधिक तेज़ी से घटी है.

जाति जनगणना की मांग के बीच आंकड़े दर्शाते हैं कि क़रीब 45 फीसदी परिवार ओबीसी वर्ग के हैं

ग्रामीण भारत में कृषक परिवारों की स्थिति को लेकर हाल ही में एनएसओ द्वारा जारी किए गए एक सर्वे के मुताबिक़, देश के 17.24 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 44.4 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी से हैं.

जातिगत जनगणना राष्ट्रीय हित में है, केंद्र पुनर्विचार करे: नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना की अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि इससे विकास की दौड़ में पिछड़ रहे समुदायों की प्रगति में मदद मिलेगी. इसकी मांग न केवल बिहार बल्कि कई राज्यों से आ रही है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में जाति के आधार पर जनगणना को ख़ारिज करते हुए कहा था कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर’ है.

पिछड़े वर्गों की जातिगत जनगणना प्रशासनिक रूप से कठिन: सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

शीर्ष अदालत में केंद्र की दलील ऐसे समय में आई है, जब उसे विपक्षी दलों और यहां तक कि जदयू जैसे उसके सहयोगियों से जातिगत जनगणना की मांग लगातार की जा रही है. बीते 20 जुलाई को लोकसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि भारत सरकार ने फैसला किया है कि जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जाति-वार आबादी की गणना नहीं की जाएगी.

क्या 2021 में जातिगत जनगणना होनी चाहिए?

वीडियो: देश में जातिगत जनगणना की मांग तेज़ हो गई है. इस मुद्दे पर सीएसडीएस में प्रोफेसर अभय दुबे, वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर लक्ष्मण यादव और सतीश देशपांडे से आरफ़ा खानम शेरवानी की बातचीत.

देश में जातिगत जनगणना की मांग फ़िर तेज़ क्यों हो गई है

समय-समय पर देश में जातिगत जनगणना की मांग तेज़ होती है, लेकिन यह फिर मंद पड़ जाती है. इस बार भी जातिगत जनगणना को लेकर क्षेत्रीय पार्टियां मुखर होकर सामने आ रही हैं और केंद्र सरकार पर दबाव बना रही हैं कि जातिगत जनगणना कराई जाए.

पिछड़ा वर्ग आयोग ने सरकार को लिखा पत्र, जनगणना में ओबीसी की गणना करने की मांग

मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया था. सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी की अध्यक्षता में ओबीसी समुदाय के उप-वर्गीकरण के लिए एक आयोग का गठन किया गया है, ताकि कमजोर वर्गों तक आरक्षण की पहुंच बढ़ाई जा सके.

सरना धर्म कोड: आदिवासियों को मिलेगी उनकी अपनी पहचान

आदिवासी स्वयं को किसी भी संगठित धर्म का हिस्सा नहीं मानते हैं इसलिए वे लंबे समय से अपने लिए अलग धर्म कोड की मांग करते रहे हैं. इस हफ़्ते झारखंड सरकार ने एक विशेष विधानसभा सत्र में 'सरना आदिवासी धर्म कोड' पर अपनी मुहर लगा दी है, जिसे अब केंद्र के पास भेजा जाएगा.

कोरोना वायरस: लॉकडाउन की वजह से एनपीआर और जनगणना का कार्य अगले आदेश तक स्थगित

एनपीआर अपडेट करने और हाउस लिस्टिंग का काम 1 अप्रैल से शुरू होकर 30 सितंबर तक पूरा होना था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में कोरोना वायरस से निपटने के लिए 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की है.

उत्तराखंड: उत्तरकाशी में बीते तीन महीनों में एक भी बेटी पैदा नहीं हुई, जांच शुरू

उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि उत्तरकाशी के 132 गांवों में बीते तीन महीनों में कुल 216 बेटे पैदा हुए हैं जबकि एक भी बेटी पैदा नहीं हुई. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी है.

क्यों अलग धर्म की मांग कर रहे हैं आदिवासी?

आदिवासियों की मांग है कि उनके धर्म को मान्यता दी जानी चाहिए और धर्म के कॉलम में उन्हें ट्राइबल या अबॉरिजिनल रिलीजन चुनने का विकल्प दिया जाना चाहिए.