गोवा के तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचीं टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा कि कांग्रेस के फ़ैसले न लेने के कारण देश को भुगतना पड़ रहा है. भाजपारूढ़ गोवा में टीएमसी ने आगामी विधानसभा चुनाव में सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है. ममता ने कांग्रेस की आलोचना ऐसे वक़्त में की है जब राहुल गांधी भी इस तटीय राज्य में अपनी पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत करने पहुंचे हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट में विशेष, हिंदू और विदेशी विवाह क़ानूनों के तहत समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने के अनुरोध वाली कई याचिकाएं लंबित हैं, जिन पर 30 नवंबर को अंतिम सुनवाई होगी. इस साल फरवरी में केंद्र ने इन याचिकाओं को ख़ारिज करने की मांग करते हुए अदालत में तर्क दिया था कि भारत में विवाह 'पुराने रीति-रिवाजों, प्रथाओं, सांस्कृतिक लोकाचार और सामाजिक मूल्यों' पर निर्भर करता है.
त्रिपुरा हाईकोर्ट ने मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वे कारबोंग समुदाय के क्षेत्रों का दौरा करें और उनके जरूरतों का आकलन कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें. त्रिपुरा में रहने वाले विभिन्न जनजातीय समुदायों में से चाईमल या चैमार, बोंग्चर, बोंग और कोरबोंग जैसे कुछ समुदायों की आबादी काफी कम है.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब रविवार को लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई. इस घटना के बाद विपक्षी दलों के कई नेताओं ने रात में उत्तर प्रदेश जाने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उन्हें जाने से रोक दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सेवानिवृत्ति की आयु में पहुंच चुके अधिकारियों के कार्यकाल में विस्तार दुर्लभ और अपवाद वाले मामलों में किया जाना चाहिए. ईडी के निदेशक के तौर पर संजय कुमार मिश्रा के साल 2018 के नियुक्ति आदेश में पूर्व प्रभावी बदलाव को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई थी.
राज्य की 170 नगर पालिकाओं में से 68 के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि मार्च 2020 और अप्रैल 2021 के बीच 16,892 'अतिरिक्त मौतें' हुईं. यदि पूरे राज्य के लिए इसी आंकड़े को विस्तारित करें तो इसका अर्थ होगा कि गुजरात में कोविड से हुई वास्तविक मौतों का आंकड़ा कम से कम 2.81 लाख है.
‘कांस्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप’ के तत्वाधान में 108 पूर्व नौकरशाहों द्वारा लिखे पत्र में कहा गया है कि गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) पांच दशकों से अधिक समय से भारत की क़ानून की किताबों में मौजूद है और हाल के वर्षों में इसमें किए गए संशोधनों ने इसे निर्मम, दमनकारी और सत्तारूढ़ नेताओं तथा पुलिस के हाथों घोर दुरुपयोग करने लायक बना दिया है.
इस बीच केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बताया कि 2019 में ग़ैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम क़ानून यूएपीए के तहत 1,948 लोगों को गिरफ़्तार किया गया और 34 आरोपियों को दोषी ठहराया गया. एक अन्य सवाल के जवाब में बताया गया कि 31 दिसंबर 2019 तक देश की विभिन्न जेलों में 4,78,600 कै़दी बंद थे, जिनमें 1,44,125 दोषी ठहराए गए थे जबकि 3,30,487 विचाराधीन व 19,913 महिलाएं थीं.
मध्य प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने 26 जून को सभी ज़िलों को आदेश जारी कर दूसरी लहर में हुई मौतों की जानकारी को सार्थक पोर्टल पर अपलोड करने को कहा था. देश के विभिन्न राज्यों पर कोविड-19 मौतों की संख्या कम बताने के आरोप लगते रहे हैं.
जम्मू में परिसीमन को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस का प्रस्ताव भाजपा की मांगों के अनुरूप होने की आलोचना के बीच पार्टी अध्यक्ष फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने यह स्पष्टीकरण दिया है. उन्होंने कहा कि पार्टी की जम्मू इकाई की ओर से पेश किए गए विभिन्न मुद्दों को लेकर लोगों को चिंता नहीं करनी चाहिए.
दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर एक ओसीआई कार्डधारक के विदेशी मूल के जीवनसाथी को उसकी लैंगिकता की परवाह किए बिना ओसीआई पंजीकरण की अनुमति देने की मांग की गई है. उन्होंने तमाम विवाह क़ानूनों के तहत समलैंगिक शादी को मान्यता प्रदान करने की गुज़ारिश की है.
बीते दिनों यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और तकनीकी संस्थानों को 18 वर्ष से अधिक आयु समूह के लिए मुफ़्त टीकाकरण शुरू करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देने वाले बैनर लगाने कहा है.
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि देशभर से ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि कोरोना से होने वाली सभी मौतों के आंकड़ों को ठीक से दर्ज नहीं किया जा रहा है. अदालत ने कहा कि यह वास्तव में महामारी के पैमाने को समझने के प्रयास को बाधित कर सकता है और परिवारों को उस राहत की मांग करने से भी वंचित सकता है, जिसके वे हक़दार हैं.
एक आरटीआई आवेदन में कोविड महामारी के दौरान मास्क के प्रभाव से संबंधित जानकारी मांगी गई थी, जिस पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोई जवाब नहीं दिया. केंद्रीय सूचना आयोग ने इस आवेदन को व्यापक जनहित वाला बताते हुए कहा कि मंत्रालय के अधिकारियों ने इसे एक से दूसरी जगह सिर्फ ट्रांसफर करके पोस्ट ऑफिस वाला काम किया है.
पुलिस प्रताड़ना के ख़िलाफ़ दो समलैंगिक महिलाओं द्वारा दायर याचिका पर मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि एलजीबीटी समुदाय के संबंधों के प्रति समाज में परिवर्तन की ज़रूरत है. असली समस्या क़ानूनी मान्यता की नहीं बल्कि सामाजिक स्वीकृति की है. हमारा मानना है कि सामाजिक स्तर पर बदलाव होने चाहिए.