केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि 25 राज्यों के 230 ज़िलों के कुछ हिस्सों में भूजल में आर्सेनिक और 27 राज्यों के 469 ज़िलों में फ्लोराइड होने की जानकारी मिली है. उन्होंने जोड़ा कि भूजल में इस तरह का दूषण (Contamination) अधिकतर भूगर्भिक है.
कैग ने कहा है कि भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा लाइसेंस प्राप्त 3,189 पैकेज्ड पेयजल इकाइयों में से 2,475 इकाइयां केंद्रीय भूजल बोर्ड की एनओसी के बिना काम कर रही हैं. भारत में भूजल दोहन 2004 से 2017 के बीच 58 से बढ़कर 63 प्रतिशत हो गया है.
एनजीटी ने हाल ही में भूजल की बर्बादी को लेकर केंद्र को फटकार लगाई थी, जिसमें कहा गया था कि सरकार इसके लिए समयबद्ध कार्य योजना बनाए और ऐसे मामलों की निगरानी करे.
राजस्थान सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 33 ज़िलों को भूजल के हिसाब से कुल 295 ब्लॉक में बांटा गया है, जिनमें से 184 ब्लॉक अतिदोहित श्रेणी में आ गए हैं. इसका मतलब है कि आधे से ज़्यादा राज्य में ज़मीनी पानी कभी भी समाप्त हो सकता है.
पर्यावरण मंत्रालय ने संसद में बताया कि केंद्रीय भूजल बोर्ड ने विभिन्न राज्यों में फ्लोराइड, आर्सेनिक, नाइट्रेट और आयरन सहित अन्य हानिकारक धातुओं की भूजल में निर्धारित मानकों से अधिक मात्रा पाए जाने की पुष्टि की है.