कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि हम ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग और केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा विपक्षी नेताओं के ख़िलाफ़ दर्ज किए गए मामलों को वापस लेंगे क्योंकि ये मामले क़ानूनी कार्रवाई के परिणामस्वरूप दर्ज नहीं किए गए हैं, बल्कि उत्पीड़ित करने के इरादे या चुनावों को बाधित करने के लिए लगाए गए हैं.
मौजूदा लोकसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा विपक्षी दलों और नेताओं को निशाना बनाने के बीच तीन पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ने कहा है कि इस तरह की कार्रवाइयां स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों में हस्तक्षेप हैं. चुनाव आयोग को एजेंसियों से मिलकर बात करनी चाहिए कि वे चुनाव ख़त्म होने तक इंतज़ार क्यों नहीं कर सकते.
14 विपक्षी दलों की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि जांच एजेंसियों का उपयोग करने का एक स्पष्ट पैटर्न उभरा है. पूरे विपक्ष और अन्य मुखर नागरिकों को निशाना बनाने, उन्हें कमज़ोर करने और उन्हें संदिग्ध आधार पर जेल में डालने के लिए, इनका इस्तेमाल किया जा रहा है.
वीडियो: ईडी का विपक्षी पार्टियों को लेकर अब तक का पूरा कामकाज कैसा रहा है? कितने केस दर्ज किए गए? कितने का ट्रायल हुआ, कितनों को सजा मिली? कौन-कौन से बड़े मामले हैं? ईडी के पूरे ढांचे और कामकाज पर जानकारों की क्या राय है? इन्हीं बातों की पड़ताल इस वीडियो में की गई है.
याचिका में आरोप लगाया गया है कि पिछले कुछ वर्षों में केंद्र की मोदी सरकार राजनीतिक लाभ के लिए सीबीआई और ईडी जैसी जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है, इसलिए वे इस मामले में तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं. 14 विपक्षी दलों की ओर दायर इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 5 अप्रैल को सुनवाई करेगा.