दिल्ली दंगों में एक युवक की हत्या के मामले में हाईकोर्ट ने तीन आरोपियों को ज़मानत देते हुए कहा कि यह विश्वास करना कठिन है कि सांप्रदायिक दंगे का इस्तेमाल अपने ही समुदाय के व्यक्ति की मौत के लिए किया जा सकता है. यदि वे वास्तव में दंगे में शामिल होते तो दूसरे समुदाय के सदस्यों को बचाने की कोशिश नहीं करते.
दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में गिरफ़्तार ताहिर हुसैन को पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने कथित तौर पर बिना सूचना के लगातार निगम की तीन बैठकों में शामिल न होने के कारण पार्षद के तौर पर अयोग्य ठहराया दिया था. अदालत ने इस फ़ैसले को मनमाना और ग़ैर क़ानूनी बताया है.
फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने स्थानीय अदालत में हज़ार पन्नों से अधिक की चार्जशीट दायर की है. आप से निष्काषित हुए स्थानीय पार्षद ताहिर हुसैन के वकील का कहना है कि पुलिस उनके मुवक्किल के ख़िलाफ़ एक भी सबूत नहीं पेश कर पाई है और उन्हें साज़िशन फंसाया जा रहा है. हुसैन आरोपी नहीं पीड़ित हैं.
दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान जान-माल के नुकसान के अलावा बड़ी संख्या में महिलाओं के साथ बदसलूकी की घटनाएं हुई हैं, लेकिन ये ख़ौफ़ज़दा पीड़ित पुलिस में शिकायत दर्ज कराना तो दूर इसके बारे में बात करने से भी कतरा रही हैं.