उत्तरकाशी के निवासियों ने चारधाम सड़क परियोजना के तहत गंगोत्री-धरासू मार्ग के चौड़ीकरण को तैयार सीमा सड़क संगठन पर ग़लत जानकारी के आधार पर वन मंज़ूरी लेने के का आरोप लगाया है और पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखकर दो वन मंज़ूरी प्रस्तावों को तत्काल रद्द करने की मांग की है.
गंगोत्री-धरासू मार्ग भागीरथी इको-सेंसिटिव ज़ोन (BESZ) में आता है. लेकिन सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) का कहना है कि पूरे चारधाम परियोजना के लिए पहले ही पर्यावरण प्रभाव आकलन किया जा चुका है, इसलिए पर्यावरण मंज़ूरी की ज़रूरत नहीं है.
अदालत ने चारधाम परियोजना पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित उच्चाधिकार समिति के अध्यक्ष और वरिष्ठ पर्यावरणविद रवि चोपड़ा के इस्तीफ़ा को मंजूर करते हुए पूर्व न्यायाधीश एके सीकरी को अध्यक्ष नियुक्त किया है, जो पूरी हिमालयी घाटी पर चारधाम परियोजना के प्रभाव के बारे में विचार करेगी.
चारधाम परियोजना पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित उच्चाधिकार समिति के अध्यक्ष और वरिष्ठ पर्यावरणविद रवि चोपड़ा ने इस्तीफ़ा देते हुए कहा कि समिति के निर्देश और सिफ़ारिशों को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने या तो अनदेखा किया या उस पर देर से प्रतिक्रिया दी.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में पहाड़ी राजमार्गों की चौड़ाई को लेकर दिए गए सितंबर 2020 के अपने आदेश में संशोधन करते हुए चारधाम राजमार्ग परियोजना को मंज़ूरी दी. सड़क निर्माण से होने वाली पर्यावरणीय दिक्कतों से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा कि अदालत परियोजना की न्यायिक समीक्षा में सशस्त्र बलों की बुनियादी ज़रूरत का अनुमान नहीं लगा सकती.