मामलों के आवंटन पर कई न्यायाधीश निर्णय लेंगे तो अराजकता पैदा हो जाएगी: अटॉर्नी जनरल

वकील दुष्यंत दवे और याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने उस तरीके पर सवाल उठाए जिस तरीके से नियमों को ताक पर रखकर कुछ ख़ास पीठों को संवेदनशील मामले आवंटित किए जा रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के कार्यरत जज को उसके पद से हटाना आसान नहीं है

संविधान में किसी कार्यरत जज को उसके पद से हटाए जाने की प्रक्रिया बेहद जटिल है. संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित प्रस्ताव के आधार पर राष्ट्रपति ही उन्हें हटा सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट का अस्तित्व ख़तरे में, कार्यपालिका से असंतोष का अंजाम भोगना होगा: जस्टिस जोसेफ

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे एक पत्र में जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा है, 'नियुक्ति के संबंध में कॉलेजियम कीअनुशंसाओं पर सरकार का कुंडली मारकर बैठे रहना कानूनन सत्ता का दुरुपयोग है.'

प्रधान न्यायाधीश को अपनी पसंद के न्यायाधीश चुनने का मनमाना अधिकार नहीं: जनहित याचिका

वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व क़ानून मंत्री शांति भूषण ने प्रधान न्यायाधीश के प्रशासनिक अधिकार के बारे में स्पष्टीकरण हेतु उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दाख़िल की है.

न्यायपालिका और सरकार के बीच भाईचारा लोकतंत्र के लिए मौत की घंटी: जस्टिस चेलमेश्वर

जस्टिस चेलमेश्वर ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को लिखे एक पत्र में कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा सरकार के इशारे पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के खिलाफ शुरू की गई जांच पर सवाल उठाए हैं.

क्या आम आदमी की आख़िरी उम्मीद न्यायपालिका में भी भ्रष्टाचार के ​कीटाणु प्रवेश कर चुके हैं?

ऐसा नहीं है कि न्यायपालिका में जारी गड़बड़ियों से आम आदमी बेख़बर हो, लेकिन न्यायपालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार आमतौर पर अवमानना के डर से कभी भी सार्वजनिक बहस का मुद्दा नहीं बन सका.

मेडिकल कॉलेज रिश्वत घोटाला: दिल्ली-इलाहाबाद के ‘मंदिर’ में ‘प्रसाद’ चढ़ाने का खुलासा

मनचाहे फैसले के लिए 'प्रसाद तो लगेगा. हम प्रसाद देंगे, प्रसाद तो देना ही है.' सीबीआई द्वारा हासिल टेप में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने वालों को यह कहते सुना जा सकता है.

प्रमुख मुद्दों की सुनवाई के लिए संविधान पीठ का गठन, सीजेआई की आलोचना करने वाले जज शामिल नहीं

सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में हुआ पीठ का गठन. 17 जनवरी को पीठ महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई शुरू करेगी.

आपको वैश्विक ताकत बनना है तो क्या आप सांप्रदायिक बनकर रह सकते हैं: पूर्व प्रधान न्यायाधीश

पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस खेहर ने कहा कि आज़ादी के समय भारत ने धर्मनिरपेक्ष रहना पसंद किया था, लेकिन हम उसे भूल गए.

अदालतों में लंबित मामलों की संख्या 2.60 करोड़ से अधिक हुई

आंध्र प्रदेश, बॉम्बे, कलकत्ता, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, कर्नाटक और मणिपुर की उच्च अदालतें बगैर किसी नियमित मुख्य न्यायधीश के काम कर रही हैं.

न्यायपालिका अपने अधिकार क्षेत्र से परे जा चुकी है, उसे लक्ष्मण रेखा खींचनी होगी: रोहतगी

पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग दोनों स्तंभों के बीच टकराव की एक बड़ी वजह है.

‘कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच खींचतान लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है’

सरकार का तर्क-अदालतें कार्यपालिका का काम नहीं कर सकतीं. मुख्य न्यायाधीश ने कहा- कोई भी संस्था सर्वोच्चता का दावा नहीं कर सकती, नागरिक अधिकार सर्वोच्च.

मौलिक अधिकारों के साथ कोई समझौता नहीं हो सकता: मुख्य न्यायाधीश

संविधान दिवस: केंद्रीय क़ानून मंत्री ने कहा, शासन का काम उनके पास रहना चाहिए जो इसके लिए निर्वाचित हुए हों. सीजेआई बोले, नागरिकों का अधिकार सर्वोच्च होना चाहिए.

‘सुप्रीम कोर्ट एक संपादकीय पर स्वतः संज्ञान ले सकता है, तो जज की मौत पर क्यों नहीं’

सीबीआई जज बृजगोपाल हरकिशन लोया की मौत और न्यायपालिका पर उनके परिवार द्वारा उठाए गए सवालों पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार अरुण शौरी का नज़रिया.