गृह मंत्रालय ने साल 2019-2020 में बीएसएफ द्वारा इस तरह की खोज का हवाला देते हुए पंजाब सरकार को एक पत्र भेजा है. हालांकि कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों इसकी निंदा की है. इनका कहना है कि उन्हें खालिस्तानी और आतंकवादी कहने के बाद केंद्र सरकार एक और सांप्रदायिक कार्ड खेल रही है.
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधानसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि किसानों के हितों को दरकिनार कर इन क़ानूनों को लागू होने नहीं दिया जा सकता. उन्होंने सवाल उठाया कि जब कॉरपोरेट्स साथ किए गए समझौते से संबंधित किसी विवाद पर किसानों को दीवानी अदालतों के आने से रोका जाता है तो किसे फायदा होगा?
राजस्थान विधानसभा में पेश इन विधेयकों में राज्य के किसानों के हितों की रक्षा के लिए कई प्रावधान किए हैं. इनमें किसानों के उत्पीड़न पर कम से कम तीन साल की क़ैद और पांच लाख रुपये तक का जुर्माना शामिल है.
केंद्र के विवादित कृषि क़ानूनों को बेअसर करने के लिए छत्तीसगढ़ और राजस्थान की कांग्रेस सरकारों ने भी पंजाब की तरह राज्य स्तर पर नए विधेयक पारित करने के लिए विधानसभा सत्र बुलाने की बात कही है.
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार के तीन नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ विधानसभा में प्रस्ताव पेश करने के साथ तीन विधेयक भी पेश किए. इन विधेयकों का मसौदा साझा नहीं करने पर आप विधायकों ने राज्य सरकार के ख़िलाफ़ विधानसभा में धरना दिया.
चंडीगढ़ में 31 अगस्त 1995 को सिविल सचिवालय के बाहर एक विस्फोट में तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की मौत हो गई थी. बलवंत सिंह राजोआना ने इस हमले की साज़िश रची थी. बेअंत सिंह के पोते और कांग्रेस सांसद ने रवनीत सिंह बिट्टू ने केंद्र के फैसले पर उठाया सवाल.