प्रधानमंत्री जी, कुपोषण की समस्या भजन से नहीं भोजन से दूर होती है

बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में कुपोषण की समस्या पर बात करते हुए श्रोताओं से कहा कि क्या वे जानते हैं कि भजन, गीत और संगीत के माध्यम से कुपोषण कम किया जा सकता है.

वैश्विक भूख सूचकांक भारत की वास्तविक स्थिति नहीं दर्शाता, यह भूख मापने का ग़लत पैमाना: सरकार

खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों की राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने राज्यसभा में बताया कि सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा क़ानून 2013 लागू किया है, जो जनसंख्या के 67 प्रतिशत हिस्से की भूख का निराकरण करता है. साल 2021 के वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत पिछले साल के 94वें स्थान से फिसलकर 101वें पायदान पर पहुंच गया है.

हंगर इंडेक्स: विपक्ष ने केंद्र पर साधा निशाना, सरकार ने कहा- इस्तेमाल किया गया तरीका अवैज्ञानिक

साल 2021 के वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत के 101वें पायदान पर पहुंचने के लिए विपक्षी दलों ने केंद्र की नीतियों को ज़िम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाया कि यह सत्ताधीशों की कुशलता पर सीधा सवाल है. वहीं, सरकार ने इस गिरावट पर हैरानी जताते हुए रैंकिंग के लिए इस्तेमाल की गई पद्धति को ‘अवैज्ञानिक’ बताया है.

ग्लोबल हंगर इंडेक्स: भारत 116 देशों में 101वें स्थान पर, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से पीछे

साल 2021 के वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत पिछले साल के 94वें स्थान से फिसलकर 101वें पायदान पर पहुंच गया है. आयरलैंड की एजेंसी कंसर्न वर्ल्डवाइड और जर्मनी के संगठन वेल्ट हंगर हिल्फ द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई रिपोर्ट में भारत में भूख के स्तर को ‘चिंताजनक’ बताया गया है.

हर चार में से तीन ग्रामीण भारतीयों को नहीं मिल पाता पौष्टिक आहार: रिपोर्ट

हाल ही में जारी वैश्विक भूख सूचकांक 2020 में भारत को 107 देशों की सूची में 94वें स्थान पर रखा गया है और देश भूख की ‘गंभीर’ श्रेणी में है.

वैश्विक भूख सूचकांक में 107 देशों की सूची में भारत 94वें स्थान पर

वैश्विक भूख सूचकांक, 2020 में भारत पड़ोसी देशों- बांग्लादेश, म्यांमार और पाकिस्तान के साथ ‘गंभीर’ श्रेणी में हैं. वहीं, नेपाल और श्रीलंका की स्थिति इन देशों की तुलना में ठीक है. सूची में ये ‘मध्यम’ श्रेणी में हैं.

क्या सरकार बच्चों और महिलाओं को भूखे-कमज़ोर रखकर भारत को आत्मनिर्भर बना सकती है?

लैंसेट के अध्ययन के अनुसार कोविड का मातृत्व मृत्यु और बाल मृत्यु दर पर गहरा प्रभाव पड़ेगा. इसके अनुसार भारत में छह महीनों में 3 लाख बच्चों की कुपोषण और बीमारियों से 14 हज़ार से अधिक महिलाओं की प्रसव पूर्व या इसके दौरान मृत्यु हो सकती है. हालांकि वित्तमंत्री द्वारा घोषित 20.97 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर पैकेज में कुपोषण और मातृत्व हक़ के लिए एक रुपये का भी आवंटन नहीं किया गया है.

खाद्य सब्सिडी में 70,000 करोड़ रुपये की कटौती, प्रधानमंत्री की सुरक्षा का बजट बढ़ा

सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भी खाद्य सब्सिडी के बजट को कम करके 108688.35 करोड़ रुपये कर दिया है. इसमें 80,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की कटौती की गई है.

भुखमरी से लड़ने में नाकाम भारत, ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 117 देशों में 102वें स्थान पर

2019 के वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत दुनिया के उन 45 देशों में शामिल है, जहां भुखमरी गंभीर स्तर पर है.सूची के अनुसार पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार इस मामले में भारत से बेहतर स्थिति में हैं.

आर्थिक असमानता लोगों को मजबूर कर रही है कि वे बीमार तो हों पर इलाज न करा पाएं

सबसे ग़रीब तबकों में बाल मृत्यु दर और कुपोषण के स्तर को देखते हुए यह समझ लेना होगा कि लोक सेवाओं और अधिकारों के संरक्षण के बिना न तो ग़ैर-बराबरी ख़त्म की जा सकेगी, न ही भुखमरी, कुपोषण और बाल मृत्यु को सीमित करने के लक्ष्यों को हासिल किया जा सकेगा.

2017 में भारत में हुई 8 लाख बच्चों की मौत, हर दो मिनट में होती है तीन शिशुओं की मृत्यु: रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी एक संस्था की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में सबसे ज़्यादा बच्चों की मौत भारत में होती हैं. इसके बाद नाइज़ीरिया का नंबर है.

लैंगिक भेदभाव के चलते गुजरात में हर साल 9,000 से अधिक बेटियों की अकाल मौत

विकास और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े माने जाने वाले राज्य मणिपुर, मिज़ोरम, मेघालय की स्थिति बाल मृत्युदर के मामले में गुजरात से बेहतर है. वहीं, ज़्यादातर आदिवासी क्षेत्रों में बाल मृत्यु दर कम है.