एक तिब्बती नागरिक ने केंद्रीय तिब्बती स्कूल प्रशासन से कुछ जानकारी मांगी थी, लेकिन उन्हें इस आधार पर सूचना देने से इनकार कर दिया गया कि वे एक तिब्बती नागरिक हैं और आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों के तहत जानकारी पाने के हक़दार नहीं हैं.
सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत डॉ. बीआर आंबेडकर के क़ानून मंत्री के पद से त्याग-पत्र की प्रमाणित प्रति मांगी गई थी. याचिकाकर्ता ने प्रधानमंत्री कार्यालय, कैबिनेट सचिवालय और राष्ट्रपति सचिवालय में इस संबंध में आवेदन किया था, लेकिन इन कार्यालयों ने इस संबंध में आधिकारिक दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं होने की जानकारी दी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री की जानकारी से संबंधित याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. अप्रैल 2016 में तत्कालीन सीआईसी ने दिल्ली विश्वविद्यालय और गुजरात विश्वविद्यालय को निर्देश दिया था कि वे प्रधानमंत्री द्वारा प्राप्त डिग्री के बारे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जानकारी प्रदान करें. जुलाई 2016 में हाईकोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी.
सूचना के अधिकार के तहत एक अपील पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय सूचना आयोग ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को निर्देश दिया था कि वह श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा दान में छूट/कटौती प्राप्त करने के लिए दाख़िल किए गए आवेदन की प्रति याचिकाकर्ता को साझा करे. आदेश के ख़िलाफ़ सीबीडीटी ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख़ किया था.
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बीते दिनों राज्यसभा में कहा था कि 2022-23 के दौरान 15 दिसंबर तक सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत दायर 20,756 शिकायतों और दूसरी अपीलों का निपटारा किया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री से जुड़े विवाद पर केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने साल 1978 के बीए के सभी डीयू रिकॉर्ड की पड़ताल का निर्देश दिया था, जिसके ख़िलाफ़ विश्वविद्यालय दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा था. इसके बाद कोर्ट ने सीआईसी के आदेश पर रोक लगा दी थी.
पिछले 18 महीनों में गुजरात सूचना आयोग ने दस लोगों को जीवनभर आरटीआई आवेदन दायर करने से बैन करते हुए कहा कि वे ‘सरकारी अधिकारियों को परेशान करने के लिए आरटीआई अधिनियम का इस्तेमाल’ करते हैं. आयोग ने एक शख़्स पर आरटीआई के तहत सूचना मांगने पर पांच हज़ार रुपये जुर्माना भी लगाया है.
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में बताया कि केंद्रीय सूचना आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि 18 जुलाई 2022 तक सीआईसी के पास 26,518 अपील और शिकायत लंबित हैं.
राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा शुरू किए गए चुनावी बॉन्ड की छपाई की कुल लागत की जानकारी हासिल करने की ख़ातिर भारतीय सुरक्षा प्रेस को आरटीआई आवेदन दिया था. हालांकि भारतीय सुरक्षा प्रेस ने तर्क दिया था कि सूचना सार्वजनिक किए जाने से देश के आर्थिक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
मुख्य सूचना आयुक्त यशोवर्धन कुमार सिन्हा ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के उपसचिव और सीपीआईओ प्रवीण कुमार यादव को चेतावनी देते हुए उन्हें भविष्य में आरटीआई एक्ट के प्रावधानों का सख़्ती से पालन सुनिश्चित करने को कहा.
मई 2020 में एक व्यक्ति ने आरटीआई अधिनियम के तहत जानकारी मांगी थी कि क्या लॉकडाउन में सैलून बंद होने से प्रधानमंत्री और उनके कैबिनेट सहयोगियों पर उतना ही प्रभाव पड़ा, जितना किसी आम नागरिक पर. सीआईसी ने इसे ‘बेतुका’ बताते हुए कहा कि यह अधिनियम के प्रावधानों के दुरुपयोग के समान है.
पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने लोकपाल के समक्ष दर्ज शिकायतों की संख्या में गिरावट का हवाला देते हुए कहा है कि यह बिना जवाबदेही के वरिष्ठ नागरिकों का क्लब बन गया है. उन्होंने कहा कि बहुत उम्मीदों के साथ लोकपाल का गठन हुआ था लेकिन अफ़सोस है कि इसका भ्रष्टाचार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा.
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने संसद में बताया कि 2021-22 में छह दिसंबर 2021 की स्थिति के अनुसार 32,147 आरटीआई अनुरोध लंबित थे. इससे पहले सतर्क नागरिक संगठन द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया गया था कि केंद्रीय सूचना आयोग में अपील/शिकायत के निपटारे के लिए औसतन एक साल 11 महीने का समय लग रहा है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने वरिष्ठता और पदोन्नति के संदर्भ में एक कर्मचारी को आरटीआई एक्ट के तहत जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे ख़ारिज करते हुए कहा कि पहले कोर्ट ये तय करे कि ऐसे संगठन आरटीआई के दायरे में आते हैं या नहीं.
2018 में जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की घोषणा के बाद आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने अक्टूबर 2019 में राष्ट्रपति भवन में आरटीआई याचिका दायर कर 18 बिंदुओं पर जवाब मांगा था. केंद्रीय सूचना आयोग का कहना है कि राष्ट्रपति भवन ने बिना उचित कारण बताए गोपनीयता का हवाला देकर इसका जवाब देने से इनकार किया है.