अमिताभ बच्चन भारत पर किस ख़तरे की बात कर रहे हैं?

वीडियो: बीते दिनों कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में अभिनेता अमिताभ बच्चन ने नागरिक स्वतंत्रता और सेंसरशिप पर टिप्पणी की थी, जिसे मुख्यधारा के मीडिया में न के बराबर तवज्जो दी गई. इससे जुड़े व्यापक संदर्भ में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन की बातचीत.

जो जनता के हित में अप्रिय सत्य बोलता है, सत्ता उसे जनता का दुश्मन घोषित कर देती है

कोलकाता में हुए एक फिल्म समारोह में अभिनेता अमिताभ बच्चन का सत्यजीत रे की 'गणशत्रु' ज़िक्र करते हुए लगाया गया अनुमान ठीक है कि आज जनता के लिए आवाज़ उठाने वाले रे की फिल्म के 'डॉक्टर गुप्ता' ही हैं, जो जनता को सावधान करना चाहते हैं, मगर सत्ता सफल हो जाती है कि जनता उन्हें ही अपना शत्रु मानकर उनकी हत्या को आमादा हो जाए.

कश्मीर फाइल्स पर नदाव लपिद की राय भारत की प्रतिष्ठा की चिंता का ही नतीजा है

इस्राइली फिल्मकार नदाव लपिद को लगा कि ‘कश्मीर फाइल्स’ फिल्म समारोह की गरिमा को धूमिल करने वाली प्रविष्टि है, उसकी प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए उन्होंने ईमानदारी से अपनी राय रखी. भारत उनके लिए सत्यजित राय, मृणाल सेन, अपर्णा सेन आदि का भारत है. वे उसे अपनी निगाह में गिरते नहीं देखना चाहते.

मशहूर अभिनेत्री तबस्सुम का निधन

भारतीय फिल्म उद्योग में तबस्सुम ने अपने करिअर की शुरुआत एक बाल कलाकार के तौर पर की थी. उन्हें ‘बेबी तबस्सुम’ के रूप में जाना जाता था. फिल्मों के बाद उन्होंने ‘फूल खिले हैं गुलशन गुलशन’ की एंकरिंग का काम संभाला, जो भारतीय टेलीविजन का पहला ‘टॉक शो’ था. उन्होंने 1972 से 1993 तक इस शो को किया और इस दौरान तमाम बड़े सितारों का साक्षात्कार लिया था.

नेपाल के स्वाभिमान व स्वतंत्रता का एहतराम किए बिना हमारे संबंध सशक्त नहीं हो सकते

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: नेपाल में हमारी अपनी सभ्यता के कुछ सुंदर रूप अब भी बचे हैं और हमें इस जीवित संरक्षण के लिए उसका कृतज्ञ होना चाहिए.

मध्य प्रदेश: बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने रणबीर कपूर, आलिया भट्ट को महाकाल मंदिर में जाने से रोका

अभिनेता रणबीर कपूर और आलिया भट्ट अपनी फिल्म ब्रह्मास्त्र के प्रमोशन के दौरान उज्जैन पहुंचे थे, जहां उन्हें महाकाल मंदिर जाना था, लेकिन बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने उन्हें प्रवेश से रोक दिया. उन्होंने कहा कि रणबीर की ‘बीफ’ खाने और आलिया की ब्रह्मास्त्र फिल्म देखने के बारे में कथित टिप्पणियों के चलते ऐसा किया गया. 

नैयरा नूर: ग़म-ए-दुनिया से घबराकर, तुम्हें दिल ने पुकारा है

स्मृति शेष: नैयरा नूर ग़ालिब और मोमिन जैसे उस्ताद शायरों के कलाम के अलावा ख़ास तौर पर फ़ैज़ साहब और नासिर काज़मी जैसे शायरों की शायरी में जब 'सुकून' की बात करती हैं तो अंदाज़ा होता है कि वो महज़ गायिका नहीं थीं, बल्कि शायरी के मर्म को भी जानती-समझती थीं.

‘सम्राट पृथ्वीराज’ हिंदुत्व के एजेंडा में वहां तक पहुंची है, जहां अब तक कोई फिल्म नहीं गई थी

हिंदी फिल्में सफलता के लिए आबादी के हर हिस्से और हर धर्म के दर्शकों पर निर्भर करती हैं. पर इस बार यहां हमारे सामने एक ऐसी फिल्म आई, जिसे सिर्फ (कट्टर) हिंदू दर्शकों की ही दरकार है.

सिंगापुर में बैन होगी द कश्मीर फाइल्स, कहा- फिल्म में मुस्लिमों का एकतरफा, उकसावे वाले चित्रण

सिंगापुर की इन्फोकॉम मीडिया डेवलपमेंट अथॉरिटी ने संस्कृति, समुदाय और युवा मंत्रालय तथा गृह मंत्रालय के साथ एक संयुक्त वक्तव्य में कहा कि इस फिल्म को सिंगापुर के फिल्म वर्गीकरण दिशानिर्देशों के मानकों से परे पाया है.

द कश्मीर फाइल्स का सिर्फ एक ही सच है, और वो है मुस्लिमों से नफ़रत

लोग ये बहस कर सकते हैं कि फिल्म में दिखाई गई घटनाएं असल में हुई थीं और कुछ हद तक वे सही भी होंगे. लेकिन किसी भी घटना के बारे में पूरा सच, बिना कुछ भी घटाए, जोड़े और बिना कुछ भी बदले ही कहा जा सकता है. सच कहने के लिए न केवल संदर्भ चाहिए, बल्कि प्रसंग और परिस्थिति बताया जाना भी ज़रूरी है.

द कश्मीर फाइल्स ने हिंदुत्ववादियों को मुस्लिमों के ख़िलाफ़ ज़हर उगलने का बहाना दे दिया है

सिनेमाघरों में द कश्मीर फाइल्स देखने वालों के नारेबाज़ी और सांप्रदायिक जोश से भरे वीडियो तात्कालिक भावनाओं की अभिव्यक्ति लगते हैं, लेकिन ऐसे कई वीडियो की पड़ताल में कट्टर हिंदुत्ववादी कार्यकर्ताओं और संगठनों की भूमिका स्पष्ट तौर पर सामने आती है. 

द कश्मीर फाइल्स एक प्रोपगैंडा फिल्म है, जिसका मक़सद मुस्लिमों के ख़िलाफ़ भावनाएं भड़काना है

विवेक रंजन अग्निहोत्री भाजपा के पसंदीदा फिल्मकार के रूप में उभर रहे हैं और उन्हें पार्टी का पूरा समर्थन मिल रहा है.

गंगूबाई काठियावाड़ी के बहाने: मदद चाहती है ये हव्वा की बेटी, यशोदा की हमजिंस, राधा की बेटी…

गंगूबाई फिल्म एक सिनेमेटिक अनुभव की दृष्टि से तो महत्वपूर्ण है ही, पर इस फिल्म के योगदान को जिस चीज़ के लिए माना जाना चाहिए वह है- वेश्याओं के छुपे हुए संसार को अंधेरे गर्त से निकाल कर सतह पर लाना.

द कश्मीर फाइल्स का मक़सद पंडितों के प्रति हमदर्दी है या एक वर्ग के प्रति नफ़रत उपजाना

कश्मीरी पंडितों के ख़िलाफ़ हिंसा ऐसी त्रासदी है जिस पर बात करते समय सिर्फ उसी पर ध्यान केंद्रित रखना चाहिए. किसी त्रासदी को तुलनीय बनाना उसका अपमान है. 'कश्मीर फ़ाइल्स' के निर्माताओं को यह सवाल करना चाहिए कि क्या वास्तव में कश्मीरी पंडितों की पीड़ा ने उन्हें फिल्म बनाने को प्रेरित किया या उसकी आड़ में वे अपनी मुसलमान विरोधी हिंसा को ज़ाहिर करना चाहते थे?

‘द कश्मीर फाइल्स’ के सरकारी प्रमोशन के क्या मायने हैं

कश्मीरी पंडितों का विस्थापन भारत की गंगा-जमुनी सभ्यता के माथे पर बदनुमा दाग़ है और उसे मिटाने के लिए तथ्यों के धार्मिक सांप्रदायिक नज़रिये वाले फिल्मी सरलीकरण की नहीं बल्कि व्यापक और सर्वसमावेशी नज़रिये की ज़रूरत है. दुर्भाग्य से यह ज़रूरत अब तक नहीं पूरी हो पाई है और पंडितों को राजनीतिक लाभ के लिए ही भुनाया जाता रहा है.

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