कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के केंद्रीय न्यासी बोर्ड में ट्रेड यूनियनों के 10 प्रतिनिधि होते हैं. केंद्र सरकार द्वारा पुनर्गठित नए बोर्ड में 8 प्रतिनिधि घोषित किए गए हैं, जिनमें आरएसएस से संबद्ध भारतीय मज़दूर संघ के तीन सदस्य शामिल हैं. इसमें सीपीआई से संबद्ध एटक, एआईयूटीयूसी और कांग्रेस से संबद्ध इंटक का कोई सदस्य शामिल नहीं किया गया है.
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा हाल ही में जारी एक सर्कुलर में केंद्र सरकार के सभी विभागों के सचिवों को निर्देश दिया गया है कि विरोध प्रदर्शन समेत किसी भी रूप में हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियों के ख़िलाफ़ वेतन में कटौती के अलावा अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए.
रक्षा क्षेत्र में काम करने वाली विभिन्न यूनियनों के एक संयुक्त संगठन एआईडीईएफ के बैनर तले करीब 3,000 असैन्य रक्षाकर्मियों ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग की और कहा कि उन्हें राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत बहुत ही कम पेंशन मिल रही है.
यह मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर का है. माकपा नेता शेख अब्दुल गनी 'धारा 370- सेतु या सुरंग' नाम की किताब को बेच रहे थे, जिसके लेखक मध्य प्रदेश की माकपा इकाई के प्रमुख जसविंदर सिंह हैं.
हम भी भारत की नवीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी दिल्ली में मज़दूरों के महापड़ाव पर जेएनयू के प्रोफेसर प्रवीन झा और सेंटर आॅफ इंडियन ट्रेड यूनियंस की राष्ट्रीय अध्यक्ष के. हेमलता के साथ चर्चा कर रही हैं.
संगठनों का कहना है कि प्रस्तावित इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड के ज़रिये सरकार मज़दूरों के हड़ताल और विरोध करने के बुनियादी अधिकारों को छीनना चाहती है.