वैश्विक नागरिक समाज संगठन ‘सिविकस’ की ओर से जारी एक रिपोर्ट में भारत के संदर्भ में यूएपीए और एफ़सीआरए जैसे कठोर क़ानूनों का इस्तेमाल उन लोगों और एनजीओ के ख़िलाफ़ करने की बात कही गई है, जो सरकार से सहमत नहीं होते हैं.
कश्मीर के मानवाधिकार कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़ को 22 नवंबर, 2021 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने गिरफ़्तार किया था, तब से उनकी हिरासत को कई बार बढ़ाया जा चुका है. परवेज़ मानवाधिकार के क्षेत्र में दिए जाने वाले मार्टिन एनल्स अवॉर्ड, 2023 से सम्मानित होने वाले तीन लोगों में से एक हैं.
कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़ को टेरर फंडिंग मामले में एनआईए ने 22 नवंबर 2022 को गिरफ़्तार किया था. उनकी गिरफ़्तारी के एक साल पूरे होने पर मानवाधिकार समूहों ने कहा कि उनकी मनमानी हिरासत भारतीय अधिकारियों द्वारा जम्मू कश्मीर में मानवाधिकार रक्षकों, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ किए गए मानवाधिकारों के उल्लंघन की एक लंबी सूची का हिस्सा है.
सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि जिस तरह कर्मचारियों के लिए हड़ताल एक हथियार है, उसी तरह विरोध प्रदर्शन करना नागरिक संस्थाओं के लिए एक साधन है.
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि चुनाव आयोग सत्तारूढ़ पार्टी के बड़े नेताओं द्वारा चुनाव संहिता के उल्लंघन पर चुप्पी साधे रहता है जबकि ऐसे मामलों में विपक्षी दलों के ख़िलाफ़ तेज़ी से कार्रवाई करता है. उन्होंने दावा किया कि आयोग सरकार की सुविधा को ध्यान में रखते हुए चुनावों का कार्यक्रम बनाता है.
पंजाब के लुधियाना में मटेवारा जंगल और सतलुज नदी के पास 1,000 एकड़ ज़मीन में टेक्सटाइल पार्क बनाना प्रस्तावित था. पिछली कांग्रेस सरकार की इस परियोजना का आम आदमी पार्टी ने विपक्ष में रहते हुए विरोध किया था लेकिन सत्ता में आते ही उसने इस पर आगे बढ़ने का फैसला किया, जिसके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया था.
इस साल स्वास्थ्य बजट आवंटन में बीते वर्ष की तुलना में सात फीसदी की कटौती की गई है. स्वास्थ्य क्षेत्र में काम कर रहे क़रीब सौ छोटे-बड़े सिविल सोसाइटी समूहों के नेटवर्क जन स्वास्थ्य अभियान ने संसद से अपील की है कि वह इस कटौती को ख़ारिज कर आवंटन में बढ़ोतरी करे.
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी रिपोर्ट में भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल खड़े किए गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के ख़िलाफ़ बोलने वाले नागरिक समाज संगठनों को मानहानि, देशद्रोह, अभद्र भाषा, अदालत की अवमानना संबंधी आरोपों और विदेशी फंडिंग पर नियमों के साथ निशाना बनाया गया है.