मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरामथांगा ने एक साक्षात्कार में कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार के मणिपुर से निपटने और शरणार्थियों को मदद न देने के रवैये से मैं थोड़ा आश्चर्यचकित हूं. उन्होंने कहा कि एनडीए को हमारा समर्थन मुद्दा आधारित है और हम मिज़ोरम के ख़िलाफ़ जाने वाले किसी भी मुद्दे का समर्थन नहीं करते हैं.
मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ख़ाम ख़ान सुआन हाउजिंग, कुकी महिला मंच की संयोजक मैरी ग्रेस ज़ोउ और कुकी पीपुल्स एलायंस के महासचिव विल्सन लालम हैंगशिंग ने द वायर के लिए करण थापर को इंटरव्यू दिया था. आरोप है कि साक्षात्कार के दौरान उनके बयानों ने सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काया था.
ख़बर थी कि हिंसाग्रस्त मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह शुक्रवार को राज्यपाल से मुलाकात करने वाले हैं. इसके बाद उनके इस्तीफ़े की अटकलें तेज़ हो गई थीं. मई की शुरुआत से राज्य में शुरू हुई जातीय हिंसा से निपटने के अपने तरीके को लेकर मुख्यमंत्री को काफी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 24 जून को नई दिल्ली में मणिपुर के हालात पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें राज्य की ओर से एकमात्र प्रतिनिधि पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह थे. उनका कहना है कि हिंसाग्रस्त राज्य में शांति लाने के बारे में अपना मत रखने के लिए उन्हें गृहमंत्री द्वारा पर्याप्त वक़्त नहीं दिया गया.
मणिपुर की स्थिति को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा 24 जून को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है. विपक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बैठक से अनुपस्थिति इस विषय पर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की गंभीरता की कमी को दर्शाती है, जबकि मणिपुर में छह सप्ताह से अधिक समय से भड़की जातीय हिंसा जारी है.
पिछले डेढ़ महीने से मणिपुर में जातीय हिंसा का दौर जारी है. बीते बुधवार को बिष्णुपुर ज़िले में एक आईईडी विस्फोट में एक आठ वर्षीय लड़का और दो किशोर घायल हो गए. वहीं, कांगपोकपी ज़िले के दो गांवों में भी अंधाधुंध गोलीबारी हुई. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति पर चर्चा के लिए 24 जून को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है.
कांग्रेस सहित दस विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मणिपुर में जातीय हिंसा को हल करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की. विपक्षी दलों ने हिंसा को रोकने में विफल रहने के लिए केंद्र और राज्य में भाजपा सरकार की 'बांटो और राज करो की राजनीति' को ज़िम्मेदार ठहराया है.
पिछले 45 दिनों से मणिपुर में जारी हिंसा के बीच राज्य के विधायकों के दो प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से मिलने के लिए 15 जून से नई दिल्ली में हैं.
मणिपुर हिंसा के दौरान पुलिस शस्त्रागारों से हथियार लूटने के मामले में दर्ज विभिन्न एफ़आईआर के द वायर द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि एके 47 और इंसास राइफल, बम एवं अन्य आधुनिक हथियार लूटे गए. उपद्रवी बुलेटप्रूफ जैकेट भी ले गए और पुलिस थानों में आग तक लगा दी.
बीते क़रीब डेढ़ महीने से मणिपुर में जातीय संघर्ष जारी है. पुलिस के अनुसार, मंगलवार को कांगपोकपी ज़िले के ऐगिजंग गांव में देर रात हुई फायरिंग में नौ लोगों की मौत हुई है. ये सभी मेईतेई समुदाय से हैं.
कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि पार्टी मांग करती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए और प्रशासन में विश्वास बहाल करने तथा राज्य में सामान्य स्थिति लाने के लिए सभी प्रयास करने के लिए जल्द से जल्द मणिपुर का दौरा करना चाहिए.
पुलिस ने बताया कि मणिपुर के चुराचांदपुर ज़िले के लैलोईफाई इलाके में बीते सोमवार को हुई गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हुई है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य के विभिन्न जातीय समूहों के बीच शांति स्थापित करने के लिए शांति समिति का गठन किया है. हालांकि मुख्यमंत्री के इसमें शामिल किए जाने का विरोध हो रहा है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मणिपुर में विभिन्न जातीय समूहों के बीच शांति स्थापित करने के लिए एक समिति का गठन किया था. राज्यपाल अनुसुइया उइके इसकी अध्यक्षता करेंगी, जिसमें मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह भी शामिल हैं. कुकी नेताओं ने कहा कि वे इसका बहिष्कार करेंगे, क्योंकि इसमें मुख्यमंत्री और उनके समर्थक शामिल हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित करते हुए कहा कि 3 मई को मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद आपको केंद्रीय गृह मंत्री को वहां भेजने में लगभग एक महीना लग गया. गृह मंत्री के वहां से लौटने के 8 दिन बाद भी हिंसा जारी है. बतौर प्रधानमंत्री आप कम से कम शांति की अपील कर सकते थे.
ताज़ा हिंसा बीते 9 जून को तड़के कांगकपोकपी और इंफाल पश्चिम ज़िले की सीमा पर स्थित एक कुकी बहुल गांव में हुई. आरोप है कि सेना और पुलिस की वर्दी में आए मेईतेई उग्रवादियों ने घटना को अंजाम दिया. इस बीच सीबीआई ने हिंसा की जांच के लिए डीआईजी रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया है.