2016 में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने मोदी सरकार द्वारा कोयले का उत्पादन बढ़ाते हुए इसके आयात को ख़त्म करने की ठोस योजना पर काम करने की बात कही थी. लेकिन आज स्थिति यह है कि बिजली की बढ़ी मांग की पूर्ति के लिए सरकार ने राज्यों से महंगा कोयला आयात करने को कहा है. और तो और 2016 की 'योजना' को लेकर कोई जवाबदेही तय नहीं की गई है.
देश में जारी बिजली संकट के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोयले की कमी की बात कही तो केंद्र ने पर्याप्त आपूर्ति का आश्वासन दिया. कोल इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन ने कहा है कि बिजली संयंत्रों के पास कोयले का पर्याप्त भंडार सुनिश्चित करना कोल इंडिया की प्राथमिकता है. उत्तर प्रदेश के बदायूं ज़िले में कटौती से परेशान लोगों द्वारा बिजली कर्मचारियों की पिटाई करने का मामला सामने आया है.
जम्मू कश्मीर से लेकर आंध्र प्रदेश तक उपभोक्ताओं को दो घंटे से आठ घंटे तक की बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है. पंजाब के अमृतसर शहर में किसानों ने बिजली की किल्लत के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया. कांग्रेस ने कहा है कि आग बरसाती गर्मी में 12 घंटे की बिजली कटौती. प्रधानमंत्री मौन, बिजली-कोयला मंत्री गुम!
दिल्ली सरकार की ओर से कहा गया है कि कोयले की कमी के चलते मेट्रो ट्रेन, अस्पतालों और अन्य महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है. तापमान बढ़ने के साथ दिल्ली में बिजली की मांग अप्रैल में पहली बार 6,000 मेगावॉट पहुंच गई है. वहीं एनटीपीसी ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी को बिजली आपूर्ति करने वाले ऊंचाहार और दादरी बिजली स्टेशन पूरी क्षमता से चल रहे हैं और ‘नियमित’ कोयले की आपूर्ति प्राप्त कर रहे हैं.
नरेंद्र मोदी सरकार के लिए मौजूदा संकट के लिए यूपीए को दोष देना आसान है, लेकिन सच्चाई यह है कि वह ख़ुद कोयले के भंडार जमा करने और बिजली उत्पादन को बढ़ावा देने में बुरी तरह विफल रही है.
कोयला की कमी के चलते बिजली संकट उत्पन्न होने की संभावनाओं को ख़ारिज करते हुए कोयला मंत्रालय ने कहा कि कोल इंडिया के मुख्यालय पर 4.3 करोड़ टन कोयले का भंडार है, जो 24 दिन की कोयले की मांग के बराबर है. कांग्रेस ने देश में कोयले की कमी के लिए सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया और आशंका जताई कि पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद अब बिजली की दरें बढ़ाई जा सकती हैं.
एनजीटी ने कंपनी को खनन के लिए वन भूमि का इस्तेमाल करने, रसायन और कोयले का पानी खेतों में डालकर किसानों की फसल बर्बाद करने, ग्रीन बेल्ट का निर्माण न करने, खुले ट्रक में कोयला ले जाने, पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाने और प्रदूषण के पीड़ितों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया न कराने का दोषी पाया है.
कोयला खनन से जुड़े श्रम संगठन कोयला निकासी क्षेत्र में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की केंद्र सरकार की नीति का विरोध कर रहे हैं. अखिल भारतीय कोयला श्रमिक महासंघ ने बताया कि हड़ताल में पूरे भारत से तक़रीबन पांच लाख कर्मचारी शामिल हुए.