अमेरिकी एनजीओ ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर की एक रिपोर्ट बताती है कि जैसे-जैसे दुनिया सौर और पवन ऊर्जा जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ रही है, कोयला उद्योग में 4 लाख से अधिक कर्मचारी साल 2050 तक अपनी नौकरी खो देंगे.
दैनिक भास्कर अख़बार की पड़ताल बताती है कि केंद्र सरकार की नीति के तहत लघु एवं मध्यम उद्योगों को सस्ती दरों पर बेचे जाने वाले कोयले को राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एजेंसियों ने कई गुना अधिक क़ीमत पर अन्य राज्यों के व्यापारियों को बेचा और दस्तावेज़ों में फ़र्ज़ी तरीके से दिखाया कि यह कोयला हितधारकों को मिला.
इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, त्रिपुरा और नगालैंड के प्रमुख समाचार.
केंद्र सरकार ने देश के कोयला क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया है. इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में झारखंड सरकार ने कहा है कि इस निर्णय से पहले राज्य सरकारों को विश्वास में लेने की ज़रूरत थी.
केंद्र सरकार द्वारा कोयले के वाणिज्यिक खनन की अनुमति के खिलाफ कोल इंडिया से जुड़े कर्मचारी संगठन दो जुलाई से तीन दिन हड़ताल पर थे. इस क़दम के साथ देश के कोयला क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया गया है.
केंद्र सरकार द्वारा कोयला क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने के विरोध में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया में श्रमिक संगठन दो से चार जुलाई तक हड़ताल पर थे. संगठनों ने 18 अगस्त को एक दिन की हड़ताल पर जाने का फैसला भी किया है, इस दिन ही निजी कंपनियों द्वारा 41 ब्लॉक के लिए बोली जमा करने की अंतिम तारीख़ है.
केंद्र सरकार के वाणिज्यिक कोयला खनन की अनुमति देने के विरोध में कोल इंडिया के मज़दूर संगठनों ने गुरुवार से तीन दिवसीय हड़ताल शुरू की है. सरकार ने इस क़दम से देश के कोयला क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 18 जून को 41 कोयला ब्लॉक के वाणिज्यिक खनन को लेकर नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत की थी. इस क़दम के साथ देश के कोयला क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया गया है.
केंद्र सरकार ने कोयला खदानों को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया है. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि खदानों की नीलामी प्रक्रिया में केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों को विश्वास में ज़रूरत थी. खनन से जंगल और आदिवासी जनसंख्या प्रभावित होगी.
कोयला क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोले जाने के सरकार के फैसले के विरोध में कोल इंडिया और सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड के श्रमिक संगठनों ने दो जुलाई से तीन दिन की देशव्यापी हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है.1
कोयला खनन से जुड़े श्रम संगठन कोयला निकासी क्षेत्र में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की केंद्र सरकार की नीति का विरोध कर रहे हैं. अखिल भारतीय कोयला श्रमिक महासंघ ने बताया कि हड़ताल में पूरे भारत से तक़रीबन पांच लाख कर्मचारी शामिल हुए.
संसद में पेश सर्वेक्षण के अनुसार, नुकसान में रहने वाली शीर्ष 10 कंपनियों के कुल नुकसान में बीएसएनएल, एयर इंडिया और एमटीएनएल की हिस्सेदारी 55.66 प्रतिशत रही है.