शीर्ष अदालत राजद्रोह क़ानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी

मई 2022 में राजद्रोह क़ानून पर रोक लगाने के बाद सुप्रीम कोर्ट औपनिवेशिक काल के दंडात्मक क़ानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई करने वाला है. भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (राजद्रोह) के तहत अधिकतम सजा उम्रक़ैद है. 

राजद्रोह क़ानून पर रोक का आदेश बरक़रार, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को समीक्षा के लिए और वक़्त दिया

बीते मई महीने में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक आदेश में राजद्रोह क़ानून पर उस तक के लिए रोक लगा दी थी, जब तक कि केंद्र औपनिवेशिक काल के इस क़ानून की समीक्षा के अपने वादे को पूरा नहीं करता. कोर्ट ने कहा था कि इसकी समीक्षा होने तक क़ानून के इस प्रावधान का उपयोग न किया जाए.

राजद्रोह क़ानून के तहत 2014-19 के बीच 326 केस दर्ज, सिर्फ़ छह में दोषी क़रार: गृ​ह मंत्रालय के आंकड़े

केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, छह सालों में राजद्रोह क़ानून के तहत कुल 326 मामले दर्ज किए गए. इनमें सबसे ज़्यादा असम में 54 मामले दर्ज किए गए, लेकिन एक भी दोष सिद्ध नहीं हुआ. सुप्रीम कोर्ट ने क़ानून की समीक्षा होने तक राजद्रोह के मामलों में सभी कार्यवाहियों पर रोक लगाते हुए निर्देश दिया है कि इसके तहत कोई नई एफ़आईआर दर्ज न की जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने क़ानून की समीक्षा तक राजद्रोह मामलों की कार्यवाही पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट की एक विशेष पीठ ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र और राज्य सरकारें किसी भी एफ़आईआर को दर्ज करने, जांच जारी रखने या आईपीसी की धारा 124ए (राजद्रोह) के तहत जबरदस्ती क़दम उठाने से तब तक परहेज़ करेंगी, जब तक कि यह पुनर्विचार के अधीन है. यह उचित होगा कि इसकी समीक्षा होने तक क़ानून के इस प्रावधान का उपयोग न किया जाए.

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में राजद्रोह क़ानून का बचाव करते हुए कहा- पुनर्विचार की ज़रूरत नहीं

राजद्रोह संबंधी दंडात्मक क़ानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने पूछा था कि क्या इसे 1962 के फैसले के आलोक में पांच न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजा जाना चाहिए. इस क़ानून के भारी दुरुपयोग से चिंतित शीर्ष अदालत ने पिछले साल जुलाई में केंद्र से पूछा था कि वह स्वतंत्रता आंदोलन को दबाने के लिए अंग्रेज़ों द्वारा इस्तेमाल किए गए इस प्रावधान को निरस्त क्यों