कैग ने गुजरात के बढ़ते क़र्ज़ को लेकर चेताया, बिहार के अस्पतालों की दशा दयनीय बताई

गुजरात, बिहार, महाराष्ट्र, केरल, पश्चिम बंगाल और ओडिशा राज्यों से संबंधित इन कैग रिपोर्ट्स को हाल ही में संबंधित विधानसभाओं में पेश किया गया, जिनमें राज्यों की आर्थिक हालत और अन्य परियोजनाओं पर हुए काम और उनकी स्थिति पर जानकारियां दी गई हैं.

पिछले पांच सालों में केंद्र सरकार पर कैग रिपोर्ट्स में 75 फीसदी की कमी आई: आरटीआई

अपनी रिपोर्ट्स के ज़रिये वित्तीय जवाबदेही तय करने और सरकारी अनियमितताओं को सामने लाने वाली कैग ने 2जी, कोयला आवंटन, 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स समेत कई घोटालों को उजागर किया था. आरटीआई के तहत मिली जानकारी के अनुसार 2015 में कैग ने 55 रिपोर्ट्स पेश की थीं, जिनकी संख्या 2020 घटकर 14 हो गई.

वित्त वर्ष 2019 की कई कैग ऑडिट रिपोर्ट के सार्वजनिक पटल पर न आने की वजह क्या है

बीते कुछ सालों में विधानसभाओं में ऑडिट रिपोर्ट्स पेश करने में ख़ासी देर हुई है. विशेषज्ञों का मानना है कि रिपोर्ट पेश होने में हुई देर इसके प्रभाव को तो कम करती ही है, साथ ही सरकार में ग़ैर-जवाबदेही के चलन को बढ़ावा भी मिलता है.

कैग ने असम सरकार के वित्तीय हिसाब-किताब पर उठाए सवाल, खातों की ‘सत्यता’ पर संदेह जताया

असम के पूरे 108,490 करोड़ रुपये के बजट का विश्लेषण करते हुए कैग ने कहा कि बजट को लागू करने और उस पर निगरानी रखने के सरकार के प्रयास अपर्याप्त रहे. यह भी कहा गया है कि बिना उचित स्पष्टीकरण के अतिरिक्त अनुदान का आवंटन किया गया और बिना बजट प्रावधान के भारी-भरकम राशि ख़र्च की गई है.

जीएसटी ने कैग के सामने चुनौती पैदा की: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) राजीव महर्षि का कहना है कि अभी तक किसी भी राज्य के राजस्व और ख़र्च का ऑडिट करना आसान था लेकिन अब हमारे सामने एक नई व्यवस्था है, जो न तो केंद्र और न ही राज्य की है लेकिन दोनों का इस पर हक़ है.