एक महिला द्वारा उनके पार्टनर पर लगाए गए आरोपों के मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि सहमति से बनाए गए संबंध के आधार पर बलात्कार और धोखाधड़ी के आरोपों को बरक़रार नहीं रखे जा सकते, लेकिन महिला के सहमति से संबंध उनके साथ हिंसा करने का लाइसेंस नहीं है.
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि न का मतलब न है, फिर बेशक शुरुआत में हामी क्यों न रही हो. सहमति नहीं होना पूर्व में दी गई सहमति को ख़त्म कर देता है. जबरन यौन संबंध असहमति से बने संबंध कहलाएंगे, जो आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) के तहत दंडात्मक है.