एक कार्यक्रम के दौरान देश अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने सुप्रीम कोर्ट में मामलों की बढ़ती संख्या को कम करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया. उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि सरकार उच्च न्यायालयों से मामलों के भारी प्रवाह के साथ-साथ अंतहीन वैधानिक अपीलों के साथ बोझ बढ़ाना बंद करे.
वीडियो: अक्सर यह सवाल किए जाते हैं कि संविधान आख़िर है क्या, इसकी ज़रूरत क्यों है, क्या इसमें बदलाव किए जा सकते है, हमारे देश का संविधान विश्वभर में सबसे बड़ा क्यों है और आम आदमी की ज़िंदगी को यह कैसे प्रभावित करता है. ऐसे कई सवालों के जवाब दे रही हैं सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनि बंसल.
लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि हम 21वीं सदी में रहते हैं, हमारे पास चमचमाती सड़कें हैं, लेकिन बहुत से लोग जो उन पर चलते हैं, आज भी जाति व्यवस्था से प्रभावित हैं. हमारा मस्तिष्क कब चमकेगा? हम कब अपनी जाति आधारित मानसिकता का त्याग करेंगे.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि जिस तरह से केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र में क़दम उठाया है उससे साफ है कि मौजूदा शासन के हाथों में संवैधानिक मूल्य सुरक्षित नहीं हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संविधान हमें नागरिक के तौर पर अधिकारों एवं कर्तव्यों के बीच संतुलन बनाने की सीख देता है.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि संविधान की बातों पर ध्यान देना हमारे सर्वश्रेष्ठ हित में है और अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो हमारा घमंड तेज़ी से अव्यवस्था में तब्दील हो जाएगा.
संविधान दिवस: केंद्रीय क़ानून मंत्री ने कहा, शासन का काम उनके पास रहना चाहिए जो इसके लिए निर्वाचित हुए हों. सीजेआई बोले, नागरिकों का अधिकार सर्वोच्च होना चाहिए.