हिमाचल प्रदेश में हमीरपुर ज़िले के एक दर्जन गांवों के लोग जलजनित बीमारी की चपेट में आ गए हैं. ग्रामीणों ने कहा कि एक निर्माणाधीन टैंक से पानी को फिल्टर किए बिना आपूर्ति की गई, जिससे यह बीमारी फैली है.
घटना करौली ज़िले के शाहगंज क्षेत्र की है, जहां से पिछले तीन दिनों से उल्टी-दस्त से पीड़ित मरीज़ हिंडौन, करौली और जयपुर के अस्पतालों में पहुंच रहे हैं. दूषित पानी की सरकारी पाइपलाइन से आपूर्ति हुई थी. करौली के डीएम ने बताया है कि फ़िलहाल पानी की सप्लाई रोक दी गई है और नमूने जांच को भेजे गए हैं.
विशेष रिपोर्ट: द रिपोर्टर्स कलेक्टिव की पड़ताल बताती है कि गोवा के दो गांवों- अमोना और नवेलिम में वेदांता के लौह अयस्क से कच्चा लोहा बनाने वाले दो संयंत्रों के संचालन में कई पर्यावरणीय क़ानूनों का उल्लंघन किया गया है.
विशेष रिपोर्ट: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद ज़िले के सुपेबेड़ा गांव के लोगों के अनुसार बीते डेढ़ दशक में भूजल प्रदूषण के कारण सवा सौ से अधिक लोग गुर्दे की बीमारी के चलते जान गंवा चुके हैं. ग्रामीणों के मुताबिक़ कांग्रेस ने सरकार बनने पर शुद्ध पानी, मुआवज़े और इलाज का वादा किया था पर दो साल बीत जाने के बाद भी ऐसा नहीं हुआ.
ग्राउंड रिपोर्ट: गया शहर से 8 किलोमीटर दूर चूड़ी पंचायत के चुड़ामननगर में कमोबेश हर परिवार में कम से कम एक व्यक्ति पानी से मिले फ्लोराइड के चलते शरीर में आई अक्षमता से प्रभावित है. बड़े-बड़े चुनावी वादों के बीच इस क्षेत्र के लोगों को साफ़ पीने के पानी जैसी बुनियादी सुविधा भी मयस्सर नहीं है.
यह घटना मथुरा के आन्यौर गांव की है, जहां बुधवार को उल्टी, दस्त और पेट में दर्द की शिकायत पर लोगों को गांव के ही अस्पतालों में भर्ती कराया गया. बीमार हुए 100 से अधिक लोगों में 50 बच्चे भी शामिल हैं.
भायखला जेल अधिकारियों ने कैदियों के बीमार होने के पीछे विषाक्त भोजन, दूषित जल या दवा का नुकसानदेह असर होने का संदेह जताया था. 20 जुलाई को एक साथ 81 महिला कैदियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
केंद्रीय एजेंसी ‘एकीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली’ द्वारा पानी की गुणवत्ता को लेकर तैयार रिपोर्ट के मुताबिक देश में 70,736 बस्तियां दूषित जल से प्रभावित हैं. इस पानी की उपलब्धता के दायरे में 47.41 करोड़ आबादी आ गई है.
राज्य के गरियाबंद ज़िले के दो हज़ार की आबादी वाले सुपेबेड़ा गांव में 235 लोग किडनी रोग ग्रस्त हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि उनके गांव में हीरा खदान होने से सरकार इसे खाली कराना चाहती है. इसलिए उनके स्वास्थ्य की अनदेखी कर रही है.
कैग की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेन में अशुद्ध पानी का इस्तेमाल खाना बनाने में किया जाता है. खाने को ढका नहीं जाता और चूहे-तिलचट्टे खुलेआम घूमते रहते हैं.