राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की वार्षिक ‘जेल सांख्यिकी भारत 2020’ रिपोर्ट के अनुसार, 2020 के अंत तक देश में भारतीय क़ैदियों की संख्या 4.83 लाख थी. राज्यों में सबसे ज्यादा 1.06 लाख क़ैदी उत्तर प्रदेश की जेलों में थे. दूसरे नंबर पर बिहार में 51,849 और तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश में 45,456 क़ैदी बंद थे.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के ‘आपराधिक न्याय प्रणाली पर कोर समूह’ ने कहा कि यह महसूस किया गया कि मामलों के निस्तारण में विलंब विचाराधीन और सज़ायाफ़्ता क़ैदियों के मानवाधिकार का उल्लंघन है. जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि न केवल सुनवाई में देरी होती है, बल्कि किसी व्यक्ति को दोषी ठहराने वाले अदालत के आदेशों को लागू करने में भी सालों लग जाते हैं, जो चिंता का विषय है.