मीडिया में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कोविड-19 की व्यापकता का अनुमान लगाने के लिए भारत के पहले राष्ट्रीय सीरो-प्रीवलेंस सर्वेक्षण के शोधकर्ताओं से 11 मई और 4 जून के बीच 10 शहरों के हॉटस्पॉट से एकत्र किए गए डेटा को शोध-पत्र से हटाने के लिए कहा था.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने अपनी कोविड-19 जांच रणनीति की समीक्षा कर नया परामर्श जारी किया है. परिषद ने इस बात पर ज़ोर दिया कि कोविड जांच नहीं होने के आधार पर आपात सेवा में देरी नहीं की जानी चाहिए और गर्भवती महिला को जांच की सुविधा नहीं होने के आधार पर रेफर नहीं किया जाना चाहिए.
डब्ल्यूएचओ की टेक्निकल लीड मारिया वान केरखोवे ने कोविड टेस्टिंग पर ज़ोर देते हुए कहा कि यह चिंता का विषय है कि लोग अब शारीरिक दूरी के नियमों का कड़ाई से पालन नहीं कर रहे. मास्क पहनने के बाद भी कम से कम एक मीटर की दूरी बनाए रखना ज़रूरी है.
घटना 29 जुलाई को अमरावती में हुई. एक मॉल में काम करने वाली महिला अपने साथियों के साथ कोरोना टेस्ट के लिए मोदी अस्पताल गई थीं, जहां नाक के स्वैब लिए जाने के बाद लैब टेक्नीशियन ने पीड़िता को निजी अंगों से भी स्वैब लेने को ज़रूरी बताया.
सीरो-सर्वेक्षण अध्ययनों में लोगों के ब्लड सीरम की जांच करके किसी आबादी या समुदाय में ऐसे लोगों की पहचान की जाती है, जिनमें किसी संक्रामक रोग के ख़िलाफ़ एंटीबॉडी विकसित हो जाती हैं. राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र ने दिल्ली सरकार के सहयोग से 27 जून से 10 जुलाई तक के बीच सीरो-प्रीवलेंस अध्ययन किया.
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मौजूदा हालात को देखते हुए ज़रूरी शर्तों या प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए आईसीएमआर द्वारा दिया गया एक महीने का समय बहुत लंबा है.
मामला तिरुवनंतपुरम के पुन्थुरा इलाके का है. इलाके में कोविड-19 के मामले बढ़ने के बाद प्रशासन ने उसको कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया था. स्थानीय निवासियों का आरोप है कि स्वास्थ्यकर्मी कोरोना वायरस परीक्षण के लिए नमूना लेने के बाद बिना रिपोर्ट आए लोगों को क्वारंटीन सेंटर ले जा रहे थे.
मामला न्यू मेरठ हॉस्पिटल का है, जहां का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. इसमें पैसे लेकर कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट तैयार करने की बात कही जा रही है. मामला सामने आने के बाद प्रबंधन के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कर अस्पताल को सील कर दिया गया है.
एक जनहित याचिका के जवाब में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि गर्भवती महिला के इलाज के साथ ही जांच हो सकती है. यदि जांच में कोरोना संक्रमण की पुष्टि होती है तो महिला को उपचार के लिए विशेष कोविड-19 अस्पताल में स्थानांतरित किया जाएगा.
दिल्ली सरकार द्वारा कोविड-19 के लिए अधिकृत जीटीबी अस्पताल में इस समय 300 से अधिक कोरोना संक्रमित भर्ती हैं. यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज के शिक्षक संघ का कहना है कि बीते चार सालों से ऐसी ही स्थिति है, बार-बार मामला उठाए जाने के बावजूद प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है.
कोरोना वायरस के मरीज़ों को सांस लेने में तकलीफ़ का सामना करना पड़ता है और उन्हें ऑक्सीज़न सपोर्ट की ज़रूरत पड़ती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रमुख ने कहा कि अनेक देशों के पास ऑक्सीज़न के लिए ज़रूरी उपकरणों का अभाव है और 80 फ़ीसदी से ज्यादा बाज़ार पर कुछ ही कंपनियों का क़ब्ज़ा है.
दिल्ली के शालीमार बाग़ स्थित कंटेनमेंट जोन में रहने वाली 32 वर्षीय महिला का आरोप है कि जांच में कोराना पॉजिटिव होने के बाद उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि उन्हें किसी दवा की ज़रूरत है या नहीं और क्या घर पर क्वारंटीन पूरा होने के बाद उन्हें कोई दूसरी जांच करानी होगी या नहीं.
आईसीएमआर ने कहा है कि कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने और लोगों की जान बचाने का एकमात्र तरीका है कि हम जांच करें, संक्रमण के कारण पता करें और फिर इलाज करें. देश में 23 जून तक 73.5 लाख से ज़्यादा नमूनों की जांच हुई है.
दिल्ली और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों ने कोरोना वायरस जांच की कीमतें घटाई हैं. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह जांच की अधिकतम कीमत तय करे, देश में कीमतों में एकरूपता होनी चाहिए.
जम्मू में बीते 18 जून को कोरोना वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार में शामिल होने के दौरान उनके दो रिश्तेदारों की मौत हो गई थी. परिजनों को आरोप है कि दोनों की मौत प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है. भीषण गर्मी के बावजूद उन्हें पीपीई किट पहनाकर एक श्मशान भूमि से दूसरे श्मशान भूमि घुमाया गया. पानी की कमी से उनकी मौत हो गई.