वीडियो: कोरोना वायरस की रोकथाम को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू की अपील की थी, लेकिन कुछ जगहों पर इसका उलटा असर देखने को मिला. लोग समूह बनाकर सड़कों पर निकल गए थे. इस मुद्दे पर जेएनयू के एसोसिएट प्रोफेसर विकास बाजपेयी से चर्चा कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने कहा है कि ओपीडी के लिए नियमित पंजीकरण की प्रक्रिया भी रोक दी गई है. अब सिर्फ आपातकालीन सर्जरी ही की जा रही हैं.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा कि मुंबई में लोकल ट्रेनों समेत रेल सेवाओं पर अगर पहले ही रोक लगा दी गई होती तो कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या में इतनी वृद्धि नहीं होती. मुंबई में उपनगरीय ट्रेनों को प्राथमिकता से रोका जाना चाहिए था लेकिन भारतीय रेलवे के अधिकारी ‘इसके लिए इच्छुक नहीं’ थे.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कोरोना की वैक्सीन को बाजार में आने में कम से कम एक साल का समय लग सकता है. लॉकडाउन हटने के बाद वायरस तेजी से न फैले इसके लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर और दुरुस्त करने की जरूरत है.
मामला महाराष्ट्र के जलगांव का है. तेज़ बुखार से जूझ रहे डॉक्टर को अस्पतालों द्वारा समय पर भर्ती न किए जाने से उनकी तबियत बिगड़ गई और अब वे एक सरकारी अस्पाल में वेंटिलेटर पर हैं.
हीलियम से भरे गुब्बारे आज भले ही आम हो गए हैं, लेकिन डेढ़ सौ साल पहले इस गैस की मौजूदगी से जुड़े संकेत किसी रसायन विज्ञान की प्रयोगशाला के बजाय सूर्य ग्रहण के दौरान सूरज की बाहरी परत को देखने के दौरान मिले थे.