लॉकडाउन के समय काम न होने से निम्न आर्थिक वर्ग के लोगों के पास न पैसा है न ही कमाई का अन्य कोई साधन. बिहार के पूर्वी चंपारण ज़िले के बासमनपुर पंचायत के मुसहर टोले का हाल भी यही है. यहां के रहवासियों का कहना है कि रोजी-रोटी नहीं है और अब भुखमरी जैसे हालात बन रहे हैं.
देशव्यापी लॉकडाउन के चलते बड़े शहरों में काम करने वाले मज़दूरों के पास काम बंद हो जाने की स्थिति में दो विकल्प थे- या तो घर लौट जाएं, या फिर यहीं रहकर काम दोबारा शुरू होने का इंतज़ार करें. घरों तक के सफ़र में मज़दूरों के सामने तमाम चुनौतियां आई हैं, लेकिन जो नहीं गए उनका भी हाल कुछ बेहतर नहीं है.
गैर-लाभकारी संगठन सेव लाइफ फाउंडेशन के अध्ययन के अनुसार, 25 मार्च को लॉकडाउन शुरू होने के बाद से 18 मई सुबह 11 बजे तक अपने घरों को लौट रहे 158 प्रवासी, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने वाले 29 लोग और 236 अन्य लोगों की मौत हुई है.
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर ज़िले के बहुआस के रहने वाले राजू गुजरात के अंकलेश्वर में काम करते थे. चार मई को वे साइकिल से अपने गांव जाने के लिए निकले थे, इसी शाम उनका शव बड़ौदा के करजन में नेशनल हाईवे पर मिला.
ऑटोरिक्शा में हरियाणा से बिहार जा रहे दंपति की लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर पर मौत हो गई. मध्य प्रदेश के गुना में टेम्पो पलट जाने से एक व्यक्ति की मौत हो गई और 11 अन्य घायल हो गए. मध्य प्रदेश के बड़वानी में दो हादसों में पांच प्रवासियों की मौत हो गई.
दूसरे राज्यों में फंसे कामगारों को उनके गृह राज्य पहुंचाने के लिए चलाई गई श्रमिक स्पेशल ट्रेन के रजिस्ट्रेशन की जद्दोजहद के बाद यात्रा की तारीख तय न होने से मज़दूर हताश हैं. कर्नाटक, कश्मीर और गुजरात के कई कामगार इस स्थिति से निराश होकर साइकिल या पैदल निकल चुके हैं या ऐसा करने के बारे में सोच रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिका के विशेष दूत सैम ब्राउनबैक ने दुनियाभर के अल्पसंख्यक समुदाय पर कोविड-19 के प्रभाव को लेकर कहा कि भारत में इस दौरान फ़र्ज़ी ख़बरों के आधार पर मुस्लिमों की प्रताड़ना की कई घटनाएं सामने आई हैं.
यह हादसा मध्य प्रदेश के सागर ज़िले में हुआ. शनिवार सुबह ही उत्तर प्रदेश के औरैया ज़िले में ट्रक और डीसीएम की टक्कर में 24 लोगों की मौत हो गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने बीते मार्च महीने में कोरोना वायरस के मद्देनज़र जेलों में भीड़भाड़ को कम करने का निर्देश दिया था. राष्ट्रीय क़ानूनी सेवा प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक 9,977 विचाराधीन क़ैदियों को रिहा किया गया.
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा है कि वे यह सुनिश्चित करें कि अब कोई प्रवासी मज़दूर सड़कों और रेलवे ट्रैक पर न पाया जाए और उन्हें विशेष बसों या विशेष श्रमिक ट्रेनों में बिठाकर उनके गंतव्य रवाना जाए.
इससे पहले बीते मार्च महीने में दिल्ली विश्वविद्यालय से एमफिल की पढ़ाई कर रहीं मणिपुर की ही छात्रा को ‘कोरोना’ कहकर उन पर थूका गया था. इसके बाद अप्रैल महीने में मुंबई के सांताक्रूज इलाके में एक बाइक सवार मणिपुर की ही युवती पर थूककर भाग निकला था.
सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल एक याचिका में कहा गया कि गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन के दौरान नियोक्ताओं पर पड़ने वाले आर्थिक प्रभाव पर विचार किए बगैर ही कर्मचारियों को पूरा वेतन देने का आदेश जारी कर दिया था.
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में ट्रेन से कटकर 16 प्रवासी मजदूरों की दर्दनाक मौत के बाद कोर्ट से ये मांग की गई थी कि न्यायालय देश के सभी जिला मजिस्ट्रेटों को तुरंत निर्देश दे कि पैदल चल रहे लोगों की पहचान कर उन्हें उनके घरों तक सुरक्षित तरीके पहुंचाया जाए.
एक दुर्घटना में जालौन के गिर थान के पास ट्रक ने मेटाडोर को टक्कर मारी, जिसमें एक महिला सहित दो मज़दूरों की मौत हुई. दूसरी घटना में लखनऊ-बहराइच राजमार्ग पर एक मेटाडोर अनियंत्रित होकर पलट गई, जिसमें एक मज़दूर की मौत हो गई.
दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया है कि कई लोगों को अवैध तरीके से क्वारंटीन सेंटर में रखा गया है. कहा गया है कि क्वारंटीन के नाम पर लगातार हिरासत में रखना न्यायोचित नहीं है, यह केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है.