मोदी सरकार द्वारा 85 फीसदी किराया भुगतान के दावे के उलट मज़दूरों को पूरा रेल भाड़ा देना पड़ रहा

केंद्र सरकार ने बीते सोमवार को दावा किया कि ट्रेन से आवागमन का 85 फीसदी खर्च वह उठा रही है और 15 फीसदी खर्च राज्य सरकारों को वहन करना होगा. हालांकि इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया है.

लॉकडाउन: श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का किराया वसूलने के लिए राज्यों से कहने पर रेलवे की आलोचना

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है अगर आप विदेश में फंसे हैं तो सरकार आपको विमान से नि:शुल्क लाएगी, लेकिन यदि आप एक प्रवासी श्रमिक हैं तो किराया चुकाने के लिए तैयार रहें. माकपा नेता सीताराम येचुरी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सपा नेता अखिलेश यादव आदि ने भी आलोचना की है.

श्रमिक देश की रीढ़ हैं, उनके घर लौटने का टिकट ख़र्च कांग्रेस वहन करेगी: सोनिया गांधी

रेलवे ने प्रवासी मजदूरों की आवाजाही के लिए देशभर में श्रमिक स्‍पेशल ट्रेनें चलाई हैं. केंद्र सरकार ने इनमें यात्रा करने वालों से किराया लेने के दिशानिर्देश जारी किए हैं. राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी शुरुआती 50 ट्रेनों का किराया देने की बात कही है.

‘हैदराबाद से गोरखपुर के लिए 73 हजार रुपये में एम्बुलेंस ली थी, पर भाई पहुंचने से पहले ही चल बसे’

गोरखपुर ज़िले के भटहट क्षेत्र के एक गांव के रहने वाले राजेंद्र और धर्मेंद्र निषाद हैदराबाद में काम करते थे, जहां लॉकडाउन के दौरान राजेंद्र की तबियत बिगड़ी और डॉक्टरों ने जवाब दे दिया. गांव की ज़मीन गिरवी रख और क़र्ज़ लेकर किसी तरह उन्हें घर लाया जा रहा था, जब उन्होंने गांव के रास्ते में दम तोड़ दिया.

लॉकडाउन: हैदराबाद से साइकिल चलाकर मज़दूर दिवस पर महराजगंज पहुंचे सात कामगार

पूर्वी उत्तर प्रदेश के महराजगंज के सात मज़दूर काम करने हैदराबाद गए थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया. ऐसे में उन्होंने थोड़ी-बहुत जमापूंजी से साइकिल खरीदी और घर की ओर निकल पड़े.

कोरोना संकट के दौरान सुप्रीम कोर्ट का रवैया निराश करने वाला रहा है: जस्टिस मदन बी. लोकुर

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मदन बी. लोकुर ने एक साक्षात्कार में कहा कि शीर्ष अदालत अपने संवैधानिक कर्तव्यों को सही तरह से नहीं निभा रही है. भारत का सर्वोच्च न्यायालय अच्छा काम करने में सक्षम है, लेकिन मुझे लगता है कि उन्हें आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है.

कोरोना संकट से निपटने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भूमिका बेहद ज़रूरी है

आज जब समाज एक वैश्विक महामारी से गुज़र रहा है, तो नगर प्रतिनिधियों की इसमें कोई तय भूमिका नहीं दिखाई दे रही है. औपचारिक रणनीति में भी उनकी ज़िम्मेदारियां स्पष्ट नहीं हैं, नतीजतन शहरी प्रशासन के ढांचे का एक हिस्सा निष्क्रिय जान पड़ता है.

प्रधानमंत्री जी! आप ही बताएं कि हम लोग कोरोना से लड़ें कि भूख से…

उत्तर प्रदेश और बिहार के 34 मज़दूर कर्नाटक के शिमोगा ज़िले में फंसे हैं. बालू खनन का काम करने वहां गए मज़दूरों का कहना है कि जो थोड़े-बहुत पैसे थे, वो अब तक के लॉकडाउन के दौरान ख़त्म हो चुके हैं. अब अगर यहां से नहीं निकाला गया तो भुखमरी जान ले लेगी.

भारत में फंसे 300 से अधिक नेपाली नागरिक 25 दिन बाद अपने देश पहुंचे

भारत में लॉकडाउन होने के बाद बीते पच्चीस दिनों से महराजगंज ज़िले के सोनौली, नौतनवां और बढ़नी में रह रहे नेपाली नागरिकों बीते शुक्रवार और शनिवार को दो चक्रों में नेपाल भेजा गया. वहीं नेपाल से भी 188 भारतीय वापस देश में आए हैं.

क्या नीतीश कुमार के गृह जनपद में मुसलमान सामाजिक बहिष्कार का सामना कर रहे हैं?

कोरोना संकट के दौरान गहराती सांप्रदायिकता का नया उदाहरण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह ज़िले नालंदा के बिहार शरीफ में देखने को मिला है, जहां मुस्लिम रहवासियों का आरोप है कि हिंदू दुकानदारों द्वारा उन्हें सामान नहीं दिया जा रहा और उनका सामाजिक बहिष्कार किया जा रहा है.

हरियाणा: लॉकडाउन की भारी क़ीमत चुका रहे नूंह के ये ग़रीब परिवार

देशव्यापी लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में सड़क किनारे या झुग्गी-बस्तियों में ज़िंदगी बिता रहे लोगों की मुश्किलें भी बढ़ गईं. हरियाणा के नूंह ज़िले के कुछ ऐसे ही मेहनतक़श परिवार केवल समाज के रहम पर दिन गुज़ार रहे हैं.

कोरोना संकट ने रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन गई असमानता को उघाड़कर रख दिया है

इस वायरस ने इस दुनिया को पूरी तरह से छिन्न-भिन्न कर डाला है. इसने हमारे समय की उन नाइंसाफ़ियों से रूबरू करवाया है, जो हमारी अर्थव्यवस्था और राजनीति की बेमिसाल क्रूरता दर्शाती हैं.

कोरोना: सरकारों ने गरीबों को संकट की घड़ी में उनके हाल पर छोड़ दिया है

हम वो देश हैं जो जुगाड़ पर नाज़ करता है, 5000 साल पहले की तथाकथित उपलब्धियों के ख्वाबों की दुनिया में रहता है. उससे यह उम्मीद करना बेमानी है कि वह व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में इतनी मेहनत करेगा कि वे बिना किसी रुकावट के और सक्षम तरीके से काम कर सकें.

विदेशियों को शरण देने के आरोपी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर को निलंबित किया गया

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर को जिला प्रशासन की अनुमति के बिना ग़ैर-क़ानूनी रूप से विदेशियों को ठहरने की व्यवस्था करने समेत विभिन्न आरोपों में गिरफ़्तार किया गया है.

लॉकडाउन: सरकार द्वारा मज़दूरों के लिए जारी नए दिशानिर्देश उनके प्रति संवेदनशील नहीं हैं

19 अप्रैल को गृह मंत्रालय द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के भीतर मजदूरों के आवागमन को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए दिशानिर्देश दिए गए हैं. हालांकि इनके व्यावहारिक रूप से लागू होने पर कई सवाल हैं.