केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने कहा है कि कोविड-19 महामारी की वजह से विभिन्न हितधारकों के सामने आ रही समस्या को ध्यान में रखते हुए समयसीमा बढ़ा दी गई है. इसके अलावा पैन को आधार से जोड़ने के लिए आयकर विभाग को आधार संख्या की सूचना देने की समयसीमा 30 सितंबर, 2021 से बढ़ाकर 31 मार्च, 2022 कर दी गई है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, देश में 2020 में सांप्रदायिक और धार्मिक दंगों के 857 मामले दर्ज किए गए. वर्ष 2019 में ऐसे मामलों की संख्या 438 थी, जबकि 2018 में ऐसे 512 मामले दर्ज किए गए थे.
महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा में कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना राज्य प्रशासन का कर्तव्य है. एक अन्य प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया कि देश में बाल विकास परियोजना अधिकारी के 2,191 पद और आंगनवाड़ी महिला निरीक्षक के 16,970 पद रिक्त हैं.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा ने एक वेबिनार में कहा कि आयोग इस बात पर ग़ौर करेगा कि वह अपनी ज़मीन पर आदिवासी लोगों के दावों के न्यायनिर्णयन और उसके वितरण की नीति के संबंध में क्या कर सकता है. आयोग मानवाधिकार के नज़रिये से विभिन्न क़ानूनों की समीक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑन ड्रग एब्यूज़ और नेशनल इंस्टिट्यूट्स ऑफ हेल्थ के अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया के 21 देशों में 15 लाख से अधिक बच्चों ने संक्रमण के कारण अपने माता-पिता या उन अभिभावकों को खो दिया, जो उनकी देखभाल करते थे. भारत में 25,500 बच्चों ने कोविड-19 के कारण अपनी मां को खो दिया, जबकि 90,751 बच्चों ने अपने पिता को और 12 बच्चों ने माता-पिता दोनों को खो दिया.
दुनिया भर में कोविड-19 महामारी के बीच यूनिसेफ ने कहा कि भारत में ऐसे बच्चों की संख्या बढ़कर 35 लाख हो गई है, जिन्हें कोई टीका नहीं लगा है. यह 2019 की अपेक्षा इस संख्या में 14 लाख की वृद्धि हुई है. इसके मुताबिक, पिछले 10 वर्षों में किसी भी नियमित टीकाकरण में विफलता के मामले में दक्षिण एशिया सबसे ऊपर रहा और 2020 में ऐसे बच्चों की संख्या क़रीब 44 लाख थी.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक सम्मेलन में कहा कि भारत का उच्चतम न्यायालय बहुसंख्यकवाद निरोधी संस्था की भूमिका निभाता है और सामाजिक, आर्थिक रूप से अल्पसंख्यक लोगों के अधिकारों की रक्षा करना शीर्ष अदालत का कर्तव्य है.
सुप्रीम कोर्ट से एक याचिका में कोविड महामारी से निपटने के तौर तरीकों को लेकर कथित तौर पर देश और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि धूमिल करने के लिए बनाए टूलकिट की जांच का अनुरोध किया गया था. अदालत ने कहा कि यह राजनीतिक दुष्प्रचार का हिस्सा है और यदि आप इसे पसंद नहीं करते हैं, तो नज़रअंदाज़ करें.
हाल के समय में विभिन्न हलकों से यह मांग की जा रही है कि भारतीय रिज़र्व बैंक को करेंसी की छपाई कर राजकोषीय घाटे का वित्तपोषण करना चाहिए. रिज़र्व बैंक द्वारा राजकोषीय घाटे के मौद्रिकरण का आशय यह है कि केंद्रीय बैंक सरकार के किसी आपात ख़र्च को पूरा करने के लिए करेंसी छापे और राजकोषीय घाटे को पूरा करे. पिनाकी चक्रवर्ती ने उम्मीद जताई कि कोरोना वायरस की यदि कोई बड़ी तीसरी लहर नहीं होती है, तो भारत का
शीर्ष अदालत कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र राज्य सरकारों को बोर्ड परीक्षाएं न कराने के निर्देश देने के अनुरोध करने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही है. अदालत ने आंध्र प्रदेश से उसके बोर्ड परीक्षा कराने के निर्णय पर सवाल किए थे, जिसके जवाबों से कोर्ट के आश्वस्त न होने पर इन्हें रद्द कर दिया गया.
मेघालय हाईकोर्ट ने कहा कि दुकानदारों, टैक्सी ड्राइवरों आदि को अपना व्यवसाय दोबारा शुरू करने के लिए टीका लगाने के लिए मजबूर करना इससे जुड़े भलाई के मूल उद्देश्य को प्रभावित करता है.
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ‘रॉयटर्स इंस्टिट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ जर्नलिज्म’ द्वारा किए सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत में पुराने प्रिंट ब्रांड और सरकारी प्रसारक दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो अधिक भरोसेमंद हैं, जबकि प्रिंट मीडिया, सामान्य तौर पर समाचार चैनलों की तुलना में अधिक भरोसेमंद माने गए.
शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कि जिसमें कोविड-19 महामारी को देखते हुए राज्य सरकारों को बोर्ड परीक्षाएं आयोजित नहीं करने का निर्देश देने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट की पीठ को सूचित किया गया कि आंध्र प्रदेश और केरल दो ऐसे राज्य हैं, जिन्होंने अभी तक 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं आयोजित कराने का निर्णय किया है.
वीडियो: कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बीच ग्रामीण उत्तर प्रदेश में स्व-वित्तपोषित स्कूल जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. कई छात्र कक्षाओं में शामिल नहीं हो पा रहे हैं, क्योंकि उनके परिवारों के पास ऑनलाइन कक्षाओं के लिए आवश्यक उपकरण- स्मार्ट फोन या लैपटॉप नहीं हैं. स्कूल प्रबंधन शिक्षकों को भुगतान करने में असमर्थ हैं.
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान हमारी स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्गति उजागर हो गई. ग़रीब, वंचित और आम आदमी को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाएं, इसके लिए स्वास्थ्य तंत्र को मज़बूत बनाना होगा. इसी नाते सरकार से मांग की है कि स्वास्थ्य को संवैधानिक अधिकार का दर्जा दिया जाए. यह समय की ज़रूरत है.