साल 2020-21 में जब भारत कोविड-19 महामारी की पहली लहर की चपेट में था, तब प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत तहत दावों का वितरण 49.2 प्रतिशत बढ़कर 63,181 हो गया था. वित्त वर्ष 2021-22 में यह 438 प्रतिशत बढ़कर 3,40,192 हो गया.
स्वास्थ्य मामलों से संबंधित संसद की एक स्थायी समिति ने कहा कि पहली लहर के बाद जब देश में कोविड-19 के मामलों में गिरावट दर्ज की गई, तब सरकार को देश में महामारी के दोबारा ज़ोर पकड़ने के ख़तरे और इसके संभावित प्रकोप पर नज़र रखने के अपने प्रयास जारी रखने चाहिए थे.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी संसद की स्थायी समिति ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा है कि वह ऑक्सीजन की कमी के कारण कोविड-19 के मरीज़ों की मौत होने से मंत्रालय द्वारा इनकार किए जाने पर व्यथित है.
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती पवार ने संसद में बताया कि कोविड-19 के कारण देश में अब तक कुल 5,21,358 लोगों की मौत हुई है, जबकि केंद्र सरकार के अनुरोध पर 20 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा भेजे गए जवाब में किसी ने भी अपने यहां ऑक्सीजन की कमी के चलते मौत होने की पुष्टि नहीं की है.
राज्यसभा में सवाल किया गया था कि पिछले एक साल में ऑक्सीजन की कमी के कारण कितनी मौतें हुईं. इस पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा कि भारत सरकार राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा सूचित कुल मामलों और मृत्यु के आंकड़े रखती है. केंद्र को भेजे जवाब में किसी ने ऑक्सीजन की कमी के चलते किसी मृत्यु की सूचना नहीं दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 से मौत से संबंधित दावों की तुलना में कम संख्या में मुआवज़ा दिए जाने को लेकर राज्य सरकारों की खिंचाई की है. कोविड-19 के कारण मौत संबंधी दावों की कम संख्या और ख़ारिज किए गए आवेदनों की अधिक संख्या को लेकर बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ये आंकड़े वास्तविक नहीं, बल्कि सरकारी हैं.
टोरंटो विश्वविद्यालय के नेतृत्व में शोधकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय दल के सर्वेक्षण में पाया गया कि कोविड-19 से पिछले साल सितंबर तक क़रीब 32 लाख लोगों की मौत हुई होगी. सर्वेक्षण में तक़रीबन 1.4 लाख वयस्कों को शामिल किया गया था. अध्ययन में दो सरकारी डेटा स्रोतों के ज़रिये भारत सरकार के प्रशासनिक आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है. इसमें आईआईएम अहमदाबाद और चुनाव सर्वेक्षण एजेंसी सी-वोटर भी शामिल थे.
केंद्र की मोदी सरकार ने भी बीते जुलाई महीने में संसद को बताया था कि राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों ने ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी भी मौत की विशेष रूप से रिपोर्ट नहीं की है. हालांकि एक महीने बाद अगस्त में पहली बार केंद्र ने स्वीकार किया था कि ऑक्सीजन की कमी से कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज़ों की मौत हुई है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने लोकसभा में बताया कि केंद्र ने कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से ऑक्सीजन की कमी के चलते कोविड रोगियों की मृत्यु के आंकड़े मांगे थे, जहां केवल पंजाब तथा अरुणाचल प्रदेश ने केंद्र को जवाब भेजा है.
सुप्रीम कोर्ट ने बीते जुलाई में कहा था कि कोविड से जान गंवाने वाले लोगों के परिवार मुआवज़े के हक़दार हैं और इस बारे में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को दिशानिर्देश जारी करने चाहिए. प्राधिकरण ने ऐसे परिवारों को बतौर अनुग्रह राशि 50,000 रुपये देने की सिफ़ारिश की थी, जिसे शीर्ष अदालत ने मंज़ूरी दे दी है.
कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को चार लाख रुपये का मुआवज़ा देने संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि हमने काफी पहले आदेश पारित किया था. हम एक बार समय अवधि में विस्तार कर चुके हैं. जब तक आप दिशानिर्देश बनाएंगे तब तक कोविड-19 का तीसरा चरण भी समाप्त हो जाएगा.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार ने ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुईं मौतों की जांच के लिए कमेटी बनाने का प्रस्ताव फिर से नामंज़ूर कर दिया है. हालांकि, उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने उपमुख्यमंत्री के बयान को भ्रामक बताते हुए कहा कि मामले की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन पहले ही किया जा चुका है.
केंद्र सरकार ने कहा है कि आंध्र प्रदेश को छोड़कर किसी भी राज्य ने विशेष रूप से ऑक्सीजन की आपूर्ति की कमी के कारण कोविड-19 मरीज़ों की मौत की सूचना नहीं दी है. इससे पहले केंद्र सरकार ने राज्यसभा में कहा था कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान किसी भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश से ऑक्सीजन के अभाव में किसी भी मरीज़ की मौत की ख़बर नहीं मिली है.
पेगासस स्पायवेयर विवाद का उल्लेख करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाजपा आईटी सेल कर्मचारियों से कहा कि कि केंद्र और राज्य सरकार की नकारात्मक छवि प्रस्तुत करने वालों को जवाब देने की ज़रूरत है और इसके लिए मुहूर्त देखे बिना सोशल मीडिया पर सक्रिय होना पड़ेगा.
वीडियो: क्या कोरोना वायरस महामारी की तीसरी लहर भारत मे दस्तक दे रही है? या दूसरी लहर अभी ख़त्म ही नहीं हुई है? कोरोना के इतने ज़्यादा वायरस के मामले आख़िर क्यों आ रहे हैं?