पिछले महीने महाराष्ट्र में पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस के 22 वर्षीय भतीजे के कोविड वैक्सीन लगा लेने के कारण विवाद की स्थिति पैदा हो गई थी. उस वक्त 18 वर्ष से अधिक उम्र वालों के लिए टीकाकरण शुरू नहीं हुआ था. कई नेताओं ने सवाल उठाए थे कि आख़िर कैसे फडणवीस के भतीजे को वैक्सीन लगाया गया, जबकि वह अभी तक इसके योग्य नहीं हैं.
महाराष्ट्र के नांदेड़ में कोरोना वायरस महामारी के कारण जुलूस निकाले की अनुमति नहीं देने के बाद तलवारों से लैस सिखों की भीड़ ने सोमवार को पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया था. एक अधिकारी ने कहा कि पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि घटना में कहीं गुरुद्वारा समिति के किसी सदस्य की भूमिका तो नहीं है.
मामला जलपाईगुड़ी का है, जहां एक 64 वर्षीय कारोबारी ने सोमवार को कोविशील्ड का टीका लगवाया था. उसी रात सांस लेने में परेशानी होने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. उनके परिजनों ने शिकायत दर्ज कर आरोप लगाया कि उनकी मौत अप्राकृतिक है.
महाराष्ट्र के ठाणे ज़िले का मामला है. ज़िले के भिवंडी के अस्पताल में मृतक को कोविड-19 टीके की दूसरी खुराक दी गई थी. अधिकारियों ने बताया कि किरदित की मौत के कारणों का पता पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगा.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शुक्रवार शाम को कोविड-19 टीकाकरण पर जारी बुलेटिन के अनुसार, बीते 24 घंटे में टीकाकरण के बाद दो लोगों की मौत हुई है. हालांकि सरकार की ओर यह भी कहा गया है कि अब तक किसी भी मौत के लिए सीधे तौर पर कोविड-19 टीका ज़िम्मेदार नहीं है.
48 वर्षीय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता नवरेम सुंदरी के परिजनों ने दावा किया कि टीका लगवाने से पहले सुंदरी ने ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर को सूचित किया था कि वह एक साल पहले अस्थमा की बीमारी से उबरी थीं और उन्हें एलर्जी का सामना करना पड़ रहा है.
गोरखपुर के 24 वर्षीय नीरज सिंह एम्स ऋषिकेश में ट्रेनी थे, जहां तीन फरवरी को उन्हें कोविशील्ड का टीका लगाया गया था. अस्पताल का कहना कि उनकी मौत का कारण टीका नहीं है. उन्होंने अपने सहमति पत्र में मस्तिष्क ज्वर से पीड़ित होने की जानकारी नहीं दी थी.
हरियाणा के पानीपत का मामला. आशा कार्यकर्ता को तीन फरवरी को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज दी गई थी. परिवार का आरोप है कि वैक्सीन की वजह से उनकी मौत हुई है, जबकि प्रशासन का कहना है कि उन्हें ट्यूमर था और यह उनकी मौत का कारण हो सकता है.
दिवाली के बाद कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने पर गुजरात के अहमदाबाद में कर्फ्यू लगाने का फैसला लिया गया है. कर्फ्यू के दौरान सिर्फ़ दूध बेचने वाली दुकानें और दवाओं की दुकानें ही खुली रहेंगी.