उद्योगपति रतन टाटा के अलावा पीएम केयर्स फंड के न्यासी मंडल में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश केटी थॉमस और लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष करिया मुंडा को शामिल किया गया है. इनके अलावा पूर्व नियंत्रक व महालेखा परीक्षक राजीव महर्षि, इंफोसिस फाउंडेशन की पूर्व अध्यक्ष सुधा मूर्ति और पीरामल फाउंडेशन के पूर्व कार्यकारी अधिकारी आनंद शाह को इसके सलाहकार बोर्ड में मनोनीत करने का फैसला लिया गया है.
स्वास्थ्य मामलों से संबंधित संसद की एक स्थायी समिति ने कहा कि पहली लहर के बाद जब देश में कोविड-19 के मामलों में गिरावट दर्ज की गई, तब सरकार को देश में महामारी के दोबारा ज़ोर पकड़ने के ख़तरे और इसके संभावित प्रकोप पर नज़र रखने के अपने प्रयास जारी रखने चाहिए थे.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी संसद की स्थायी समिति ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा है कि वह ऑक्सीजन की कमी के कारण कोविड-19 के मरीज़ों की मौत होने से मंत्रालय द्वारा इनकार किए जाने पर व्यथित है.
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान में आयोजित समारोह में भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि अस्पताल कंपनियों की तरह चलाए जा रहे हैं, जहां मुनाफ़ा कमाना समाज की सेवा से अधिक महत्वपूर्ण है. इसके कारण डॉक्टर और अस्पताल समान रूप से मरीजों की दुर्दशा के प्रति असंवेदनशील हो जाते हैं.
टीचर्स अगेंस्ट द क्लाइमेट क्राइसिस ने दावा किया कि एनसीईआरटी ने कक्षा 11वीं के भूगोल विषय से ग्रीनहाउस गैस के प्रभाव से संबंधित पूरे अध्याय को हटा दिया है, जबकि 7वीं के पाठ्यक्रम से मौसम, जलवायु और पानी के अध्याय को हटाया है तथा 9वीं से मानसून से संबंधित अध्याय को हटा दिया है. संगठन ने मांग की कि एनसीईआरटी इन अध्यायों को बहाल करे तथा जलवायु संकट के विषय को सभी भाषाओं में स्कूलों में पढ़ाया जाए.
एनएसओ के अनुसार, जनवरी-मार्च तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर साल-दर-साल धीमी होकर 4.1% हो गई. यह एक साल में इसकी सबसे धीमी गति है. वहीं, वित्त वर्ष 2021-22 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.71 प्रतिशत रहा है जो संशोधित बजट अनुमान से कम है.
संयुक्त राष्ट्र की ओर से कहा गया है कि 53 देशों में लगभग 19.3 करोड़ लोगों को 2021 में खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा और यह स्थिति संघर्ष, असामान्य मौसम और कोविड-19 वैश्विक महामारी के आर्थिक प्रभावों की तिहरी मार के कारण उत्पन्न हुई. यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध की वजह से वैश्विक खाद्य उत्पादन प्रभावित होने से यह स्थिति और भयावह होने जा रही है.
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती पवार ने संसद में बताया कि कोविड-19 के कारण देश में अब तक कुल 5,21,358 लोगों की मौत हुई है, जबकि केंद्र सरकार के अनुरोध पर 20 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा भेजे गए जवाब में किसी ने भी अपने यहां ऑक्सीजन की कमी के चलते मौत होने की पुष्टि नहीं की है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संसद में भाषण देते हुए महाराष्ट्र और दिल्ली सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा था कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने प्रवासियों को पलायन के लिए उकसाया था, जिससे कोरोना संक्रमण फैला.
आम बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए आवंटन को 35 फीसदी बढ़ाते हुए उम्मीद की गई है कि राज्य सरकारें पीएम गति शक्ति परियोजना, जिसका मकसद नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के तहत चिह्नित नए इंफ्रा प्रोजेक्ट्स हेतु फंड जुटाने के लिए सरकारी परिसंपत्तियों का मौद्रिकरण है, के तहत फंडिंग में योगदान करेंगी. पर सवाल है कि सरकार द्वारा सार्वजनिक निवेश में इज़ाफ़ा किस हद तक निजी निवेशक को प्रोत्साहित कर पाएगा?
शिक्षाविद और नीति-निर्माता उम्मीद कर रहे थे कि शिक्षा के क्षेत्र में सरकार कुछ अहम क़दम उठाएगी क्योंकि लाखों छात्रों ने कोरोना महामारी के चलते अपनी शिक्षा के अहम वर्षों का नुकसान उठाया है, हालांकि बजट से उन सभी को निराशा हुई है.
केंद्रीय बजट 2022-23 में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए केवल एक नई योजना की घोषणा की गई है. वित्त मंत्री ने कहा कि महामारी ने सभी उम्र के लोगों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाया है, इसलिए ‘गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देखभाल सेवाओं तक बेहतर पहुंच के लिए एक राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम’ शुरू किया जाएगा.
विदेश मंत्रालय के वित्तीय वर्ष 2022-23 के आवंटन में बीते साल की तुलना में पांच फीसदी की कटौती के साथ 17,250 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. यह 2018-19 के बाद से इस मंत्रालय के लिए सबसे कम बजटीय आवंटन है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, साल 2019 में बच्चों के ख़िलाफ़ साइबर अपराधों के 164 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2018 में बच्चों के ख़िलाफ़ साइबर अपराधों के 117 मामले सामने आए थे. इससे पहले 2017 में ऐसे 79 मामले दर्ज किए गए थे.
पश्चिम बंगाल के प्राथमिक स्कूलों के अध्यापकों के एक समूह ‘शिक्षा आलोचना’ द्वारा महामारी के दौरान पढ़ाई को लेकर जारी की गई रिपोर्ट बताती है कि स्कूल परिसर के बाहर अपना काम जारी रखना कितना चुनौतीपूर्ण था लेकिन अध्यापकों ने उसे किया. यह रिपोर्ट पढ़ी जानी चाहिए, अध्यापकों की वकालत के लिए नहीं, यह समझने के लिए कि प्राथमिक शिक्षा कितना जटिल मसला है और उसके कितने पक्ष हैं.